Dark Patterns: कहीं आप तो नहीं ठगे गए?

ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म्स पर किन Dark Patterns का इस्तेमाल किया जा रहा है? क्या होते हैं ये डार्क पैटर्न? कैसे ग्राहकों को गुमराह करते हैं? जानने के लिए पढ़ें ये जरूरी खबर.

Dark Patterns: कहीं आप तो नहीं ठगे गए?

मोहित ने ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए पर्सनल लोन लिया था. कुछ समय बाद इस लोन को क्लोज कराना चाह रहे थे. कोशिश की तो बताया गया कि ये काम ऑनलाइन नहीं हो सकता. इसके लिए बैंक ब्रांच जाना होगा. मोहित को लोन क्लोज कराने में काफी दिक्कत आईं जबकि लोन आसानी से मिल गया था. मोहित की तरह बहुत से लोग ऐसी समस्याओं से गुजरते हैं. अगर लोन ऑनलाइन लिया है तो चुकाने के लिए बैंक ब्रांच जाने की जरूरत क्या है? दरअसल, ऐसा जानबूझ कर किया जाता है ताकि आप लोन की किस्तें चुकाते रहें. ग्राहक की राह में रोड़े अटकाने के और भी तरीके हैं और उन तरीकों को कहते हैं Dark Patterns.

डार्क पैटर्न है क्या?

डार्क पैटर्न दरअसल गुमराह करने वाले वे तरीके हैं जिनका इस्तेमाल कर आपको कोई चीज या कोई सर्विस बेची जाती है.. कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह ने कुछ समय पहले इस बारे में कहा था कि “बढ़ते डिजिटल कॉमर्स के दौर में प्लेटफॉर्म्स उपभोक्ताओं के खरीदारी के फैसले और व्यवहार को प्रभावित करने के लिए डार्क पैटर्न्स के जरिए उन्हें गुमराह कर रहे हैं.”

न केवल ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स बल्कि ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म्स भी डार्क पैटर्न्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑनलाइन बैंकिंग में किस तरह डार्क पैटर्न का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसका एक उदाहरण तो हमने मोहित के मामले से दे दिया. इसे अब दूसरे मामलों से भी समझते हैं.. दरअसल पर्सनल लोन लेते समय लोग इंटरेस्ट रेट, रिपेमेंट की क्षमता और लोन कलेक्शन के तरीके आदि का ध्यान रखते हैं. इसके उलट ऑनलाइन बैंकिंग में संभावित कस्टमर को ये नहीं बताया जाता कि टोटल कॉस्ट के लिहाज से ब्याज दर क्या बनेगी? यही डार्क पैटर्न हैं.. यानी वे तरीके जिनसे आपको अंधेरे में रखा जाता है. उदाहरण के लिए कस्टमर को ये बताया जा सकता है कि उसे बिना किसी सिक्योरिटी के 8% की दर पर सस्ता लोन दिया जा रहा है लेकिन लोन लेने के बाद अलग-अलग नियम और शर्तों के साथ 36 फीसद तक का इंटरेस्ट भरना पड़ सकता है, ये कभी नहीं बताया जाता.

एक और डार्क पैटर्न जिसके अकसर शिकायत मिलती है, वो drip pricing or hidden charges हैं, जहां यूजर से कहा जाता है कि बैंक ने उनके लिए कोई प्रीमियम क्रेडिट कार्ड अप्रूव किया है.. लेकिन बाद में मंथली बिल आने पर पता चलता है कि पहली बिलिंग साइकिल में हजारों रुपए की फीस लगा दी है जिसके बारे में उन्हें पहले बताया ही नहीं गया था. वहीं ड्रिप प्राइसिंग में उत्पादों या सेवाओं के लिए कम कीमत पेश की जाती है, जिसे बिक्री के अंत में बढ़ा दिया जाता है.

क्या कहते हैं यूजर्स?

ऑनलाइन बैंकिंग में डार्क पैटर्न्स के मामलों कितने बढ़ गए हैं,  इसे आप LocalCircles के एक सर्वे से समझ सकते हैं. देश के 363 जिलों में किए गए इस सैंपल सर्वे में पता चला कि ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करने वाले 63% लोगों ने कहा कि उनसे ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म्स ने हिडेन चार्जेज या ड्रिप प्राइसिंग का सामना किया.

इसी तरह 41 फीसद यूजर ने कहा कि उन्होंने interface interference का सामना किया. Interface interference एक डार्क पैटर्न है जिसमें ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म कंज्यूमर के ट्रांजैक्शन करते समय, इंटरफेयर करते हैं और उन्हें किसी एडिशनल प्रोडक्ट या सर्विस के सब्सक्रिप्शन या खरीदारी के लिए पुश करते हैं.

वहीं 32 फीसद यूजर ने कहा कि उन्होंने subscription traps का अनुभव किया. Subscription trapsतब होता है जब कंज्यूमर किसी नए ऑनलाइन प्रोडक्ट या सर्विस के लिए आसानी से साइन अप तो कर लेते हैं लेकिन उस सर्विस के लिए बार-बार चार्ज वसूले जाते हैं और आप चाहकर भी आसानी से उस सर्विस को कैंसल नहीं कर पाते. इसे बंद कराने के लिए बैंक ब्रांच जाना होता है. इसके अलावा 39% यूजर के साथ Bait and Switch के मामले हुए. इसमें लोन ऑफर करते समय आकर्षक इंटरेस्ट रेट दिखाया जाता है लेकिन बाद में पता चलता है कि इंटरेस्ट रेट तो अलग है.

कैसे निपटे इस समस्या से?

बढ़ती समस्या का तो पता चल गया लेकिन इससे निपटे कैसे? ये जानना भी जरूरी है. जहां सरकार लगातार डार्क पैटर्न्स को लेकर सख्ती बरत रही हैं, इसके बावजूद ये दिक्कत कम नहीं हो रही. पिछले साल नवंबर में Central Consumer Protection Authority यानी CCPA ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक गैजट नोटिफिकेशन जारी किया था. इसे “Guidelines for prevention and regulation of dark patterns” का नाम दिया गया है. इसके दायरे में भारत में वस्तु और सेवाएं देने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स, एडवटाइजर्स एवं सेलर्स हैं.

कहां और कैसे करें शिकायत?

ऑनलाइन बैंकिंग के इन डार्क पैटर्न्स का आप शिकार न हों, इसके लिए आपको खुद सजग होना पड़ेगा. लोन लेते समय सभी चार्जेज की पड़ताल करें.. लोन पर एक्चुअल इंटरेस्ट क्या होगा, annual percentage rate यानी APR की लिखित जानकारी मांगें, क्योंकि इसमें इंटरेस्ट, प्रोसेसिंग फीस सहित सभी कॉस्ट शामिल होते हैं. कहीं भी साइन अप करने से पहले सारे नियम और शर्तें जरूर पढ़ें. कभी बार टर्म्स एंड कंडीशंस के साथ स्टार का साइन बना होता है.. इस पर जरूर ध्यान दें. किसी डार्क पैटर्न का निशाना बनने पर आप इसकी शिकायत भी कर सकते हैं. आप 1915 नंबर पर डायल कर National Consumer Helpline से शिकायत कर सकते हैं या फिर Whatsapp के जरिए 8800001915 पर टैक्स्ट में शिकायत भेज सकते हैं.

Published - March 19, 2024, 05:24 IST