गेहूं की कम सप्लाई का कारण जमाखोरी नहीं!

केंद्र सरकार ने सप्लाई में कमी के लिए जमाखोरी को जिम्मेदार ठहराया था

गेहूं की कम सप्लाई का कारण जमाखोरी नहीं!

मौजूदा समय में देश में गेहूं की सप्लाई में जो कमी देखने को मिल रही है उसका कारण जमाखोरी नहीं है. बता दें कि केंद्र सरकार ने सप्लाई में कमी के लिए जमाखोरी को जिम्मेदार ठहराया था. आंकड़ों को देखें तो देशभर की कृषि उपज मंडियों में बीते 17 साल में गेहूं की आवक में लगभग एक जैसा रुझान देखने को मिला है. हालांकि सरकार गेहूं की सप्लाई में कमी के लिए कारोबारियों और बड़े किसानों को दोषी ठहराती है.

बता दें कि सरकार कीमतों में आई मौजूदा बढ़ोतरी के लिए किसानों के द्वारा गेहूं के स्टॉक को होल्ड करने को एक प्रमुख कारण के तौर पर देखती है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल मार्च से जुलाई के दौरान थोक मंडियों में 21.29 मिलियन टन गेहूं की आवक दर्ज की गई है, जो कि कुल अनुमानित रिकॉर्ड उत्पादन 112.74 मिलियन टन का 19 फीसद है. पिछले साल इसी अवधि यानी मार्च-जुलाई 2022 के दौरान थोक मंडियों में 20.77 मिलियन टन गेहूं की आवक हुई थी जो कि उस साल के कुल उत्पादन 10.77 मिलियन टन का 19 फीसद था. फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) की खरीद के आंकड़े मंडियों में होने वाली आवक में शामिल नहीं है.

कारोबारियों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में 2023 में गेहूं सरकारी खरीद 8 मिलियन टन ज्यादा थी, जबकि उत्पादन 5 मिलियन टन ज्यादा थी. ऐसे में एफसीआई के गोदामों अतिरिक्त 3 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है. उनका कहना है कि सरकार को अपने उत्पादन अनुमान पर संदेह किए बगैर जितना संभव हो उतना स्टॉक बाहर निकालना चाहिए. दरअसल, जनवरी में गेहूं की कमी की आशंका ने उन कारोबारियों को नकारात्मक संदेश गया है जिन्होंने कीमतों में और तेजी की उम्मीद में गेहूं को जारी करने से रोक दिया था.

Published - August 11, 2023, 07:00 IST