चीन को लेकर भारत का यू-टर्न?

भारत-चीन के बीच 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत ने उठाए थे कड़े कदम

चीन को लेकर भारत का यू-टर्न?

भारत में चीन के निवेश को सरकार यूटर्न लेती नजर आ रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि चीन के निर्माताओं और मोबाइल एप्लिकेशन पर भारत की कार्रवाई के बावजूद सरकार चीन से आने वाले निवेश के लिए तैयार है. मंगलवार को ही चीन की कंपनी ZTE ने कहा था कि वह भारत में निवेश के लिए भारत सरकार की शर्तों को मानने के लिए तैयार है और इसके लिए भारतीय साझीदार की तलाश कर रही है.

चीन समेत सभी देशों से निवेश के विकल्प खुले
राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि भारतीय कानूनों का पालन करने वाली और अपने कारोबार को वैध तरीके से संचालित करने वाली ऐसी कोई भी कंपनी जो भारत में निवेश के लिए तैयार है हम उसके साथ व्यापार के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि चीन समेत सभी देशों से निवेश के विकल्प खुले रखे हैं. बता दें कि यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 13वें ब्रिक्स सम्मेलन में चर्चा किए गए मुद्दों से इतर चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास को खत्म कर दिया है.

गलवान संघर्ष के बाद सरकार ने उठाए थे कड़े कदम
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत ने सीमावर्ती देशों से विदेशी निवेश पर अपनी नीतियों को कड़ा कर दिया था, जिसके तहत केंद्र सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक हो गया है. भारत ने गलवान की घटना के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए टिकटॉक समेत सौ से ज्यादा चीन के मोबाइल एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत ने इसके अलावा शाओमी, ओप्पो और वीवो जैसे चीन के मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ नियामकीय जांच भी शुरू कर दी थी. सरकार की ओर से यह दावा किया गया था कि इन कंपनियों ने विदेशी मुद्रा कानूनों का उल्लंघन किया है. हालांकि राजीव चंद्रशेखर ने तर्क दिया है कि सरकार ने व्यक्तिगत रूप से सिर्फ चीन को ही निशाना नहीं बनाया गया है, बल्कि पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के ऊपर भी कड़े कदम उठाए गए हैं.

Published - July 27, 2023, 03:00 IST