कर्ज के भारी संकट में फंसी निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) के फिर से उड़ान भरने की उम्मीद जगी है. दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है एयरलाइन को कर्ज देने वाले बैंकों का समूह (सीओसी) कंपनी को अंतरिम राहत के रूप में 425 करोड़ रुपए देने की मंजूरी दे दी है.
एयरलाइन को कर्ज देने वाले बैंकों के समूह की ओर से स्पष्ट किया गया है कि अंतरिम राहत के रूप में 425 करोड़ रुपए देने की मंजूरी को बैंक के बोर्ड और नियामक से मंजूरी मिलने का इंतजार है. हालांकि उसने सैद्धांतिक रूप से कंपनी के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है लेकिन अभी उसके बोर्ड की मंजूरी मिलनी बाकी है. इसके बाद गो फर्स्ट दोबारा उड़ान भरने की स्थिति में आ सकती है.
बता दें कि गो फर्स्ट को कर्ज देने वाले बैंकों में आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल है. सीओसी की ओर से बताया गया है कि गो फर्स्ट का कामकाज शुरू करने के लिए उसे अंतरिम राहत देकर जमीन पर खड़े विमानों को उड़ान भरने की स्थिति में पहुंचाया जा सकता है. बैंकों के समूह ने शैलेन्द्र अजमेरा को समाधान पेशेवर नियुक्त किया है. अजमेरा ने बैंकों के समूह से मांग की थी कि उन्हें 425 करोड रुपए अंतरिम राहत के रूप में देकर गो फर्स्ट का कामकाज शुरू करने की योजना में मदद की जाए.
आगे की क्या है योजना?
एयरलाइन का परिचालन शुरू करने के लिए कंपनी को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की भी मंजूरी लेनी होगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते की शुरुआत में हुई बैठक में फंड का प्रस्ताव गो फर्स्ट की क्रेडिटर्स कमेटी के सामने रखा गया था. सूत्रों के अनुसार गो फर्स्ट ने जुलाई में ऑपरेशन फिर से शुरू करने और 22 विमानों के साथ 78 दैनिक उड़ाने शुरू करने की योजना बनाई है.
कंपनी पर कितना कर्ज?
आर्थिक संकट में फंसी गो फर्स्ट पर विभिन्न बैंकों का 6,521 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है. इनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का सबसे ज्यादा 1,987 करोड़ रुपए का एक्सपोजर था, इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,430 करोड़ रुपए, डॉयचे बैंक का 1,320 करोड़ रुपए और IDBI बैंक का 58 करोड़ रुपए हैं. इसके अलावा भी अन्य देनदारियां हैं. नकदी की व्यवस्था न होने की वजह से कंपनी उड़ाने पिछले तीन मई से बंद हैं. कंपनी उड़ानें रद्द करने की तारीख को बार-बार बढ़ाती जा रही है. कंपनी ने अब अपनी उड़ानों को 28 जून तक के लिए रद्द कर दिया है.