देश में वीरान मॉलों की संख्‍या बढ़ी, नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में दिल्‍ली टॉप पर

नाइट फ्रैंक इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के आठ प्रमुख शहरों में खाली पड़े शॉपिंग मॉल की संख्या बीते वर्षों में बढ़ी है

देश में वीरान मॉलों की संख्‍या बढ़ी, नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में दिल्‍ली टॉप पर

देश में इनदिनों वीरान पड़े मॉलों की संख्‍या बढ़ती जा रही है. साल 2022 में जहां इनकी संख्‍या 57 थी, वहीं 2023 में बढ़कर ये 64 हो गए है. रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के आठ प्रमुख शहरों में खाली पड़े शॉपिंग मॉल की संख्या बीते वर्षों में बढ़ी है. सबसे ज्‍यादा इजाफा दिल्‍ली-एनसीआर में हुआ है. यहां करीब 21 मॉल खाली पड़े हैं. इन्‍हें ‘घोस्ट शॉपिंग सेंटर’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

नाइट फ्रैंक इंडिया की ‘थिंक इंडिया थिंक रिटेल 2024’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता प्रीमियम संपत्तियों को ज्‍यााद तरजीह दे रहे हैं. जिसके चलते प्रमुख महानगरों में वीरान मॉलों की संख्‍या बढ़ती जा रही है. यह रिपोर्ट 29 शहरों के शॉपिंग सेंटर और बड़े बाजारों का विश्‍लेषण कर तैयार की गई है. इसमें 1.33 करोड़ वर्ग फुट सकल पट्टे वाले एरिया के 64 शॉपिंग मॉल को 2023 में ‘घोस्ट शॉपिंग सेंटर’ के तौर पर पाया गया है. ये ऐसे मॉल हैं जो 40 प्रतिशत से ज्‍यादा खाली हैं.

इन शहरों में सबसे ज्‍यादा खाली हैं मॉल

नाइट फ्रैंक के आंकड़ों के अनुसार टॉप आठ शहरों में कुल 64 वीरान मॉल हैं. इनमें से सबसे ज्‍यादा 21 मॉल दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हैं. वहीं 12 बेंगलुरु में, 10 मुंबई में, छह कोलकाता में, पांच हैदराबाद में, चार अहमदाबाद में और तीन-तीन चेन्नई और पुणे में हैं. डेटा के मुताबिक हैदराबाद में केवल ऐसे मॉल की संख्या 19 प्रतिशत घटी है, जबकि कोलकाता में इनमें सबसे अधिक सालाना आधार पर 237 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

करोड़ों रुपए का हो रहा नुकसान

रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में घोस्ट शॉपिंग सेंटरों में वृद्धि के कारण लगभग 6,700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. यह खुदरा क्षेत्र पर एक महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव का संकेत देता है, जो संपत्ति मालिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है. नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल का कहना है कि बढ़ती खर्च योग्य आय, युवा जनसांख्यिकी और शहरीकरण के चलते रिटेल शॉप की डिमांड ज्‍यादा बढ़ती है.

Published - May 7, 2024, 04:24 IST