देश के सहकारी बैंकों में फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. राज्यसभा में सांसद लहर सिंह सिरोया की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने सहकारी बैंकों में हो रहे फ्रॉड के आंकड़े पेश किए. वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान सरकारी बैंकों में फ्रॉड के कुल 729 मामले सामने आए थे और वित्तवर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 964 हो गया है. यानी सालभर में फ्रॉड के मामलों में 34 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. इससे पहले वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान सहकारी बैंकों में फ्रॉड के 438 मामले दर्ज किए गए थे.
वित्त राज्य मंत्री की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों से यह भी पता चला कि वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान हुए फ्रॉड में कुल 791.4 करोड़ रुपए की राशि शामिल थी जबकि 2021-22 के दौरान यह आंकड़ा 536.59 करोड़ था, यानी फ्रॉड की राशि 47 फीसद से ज्यादा बढ़ी है. वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान सामने आए 438 फ्रॉड के मामलों में करीब 1986 करोड़ रुपए के फ्रॉड का पता चला था.
बैंकिंग में सुधार के लिए सरकार ने की पहल
पिछले तीन वर्षों में सहकारी बैंकों द्वारा धन के दुरुपयोग के संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि सहकारी बैंकों में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार ने कुछ नीतिगत पहल की गई है. जैसे आरबीआई को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सहकारी बैंकों का विनियमन यानी बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन किया गया है. इसके अलावा, आरबीआई सहकारी समितियों के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत सहकारी बैंकों को निर्देश, परिपत्र, दिशानिर्देश और अधिसूचनाएं जारी करता है. इसके साथ ही सहकारी बैंकों को पूंजी पर्याप्तता, आय से संबंधित विभिन्न जैसे- निवेश, जमा का रखरखाव, शाखा विस्तार, ग्राहक सेवा आदि मामलों पर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी)/जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) समय-समय पर प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा निरीक्षण किया ताकि यह जान सकें कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत बैंक मौजूदा का अनुपालन कर रहे हैं या नहीं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक मौजूदा दिशानिर्देशों/निर्देशों/मानदंडों का अनुपालन कर रहे हैं कि नहीं, इसके लिए बैंकिंग प्रावधानों के तहत आरबीआई द्वारा शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) का समय-समय पर निरीक्षण किया जा रहा है.
कर्नाटक से कोई सिफारिश नहीं मिली: सरकार
क्या सरकार को वित्तीय जांच के लिए कर्नाटक से कोई सिफारिश मिली है के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि विभाग को कर्नाटक से ऐसी कोई सिफारिश नहीं मिली है. एक अन्य सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई और नाबार्ड ने सूचित किया है कि वे धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के लिए उपाय करते हैं. बैंकों में सावधानी बरतने, बैंकों को रोटेशन और कर्मचारियों की अनिवार्य छुट्टी , साइबर सुरक्षा आदि की समय-समय आर सलाह दी जाती है.