दुनिया में अब महिला और पुरुषों को बराबर का दर्जा दिया जाने लगा है. इस बात की पुष्टि ईपीएफओ के पेरोल डेटा से होती है. दरअसल रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत महिला कर्मचारियों की संख्या पिछले पांच वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है. भारत में 2018-19 से महिलाओं के लिए औपचारिक रोजगार सृजन में वृद्धि देखी गई है. अब कंपनियां महिला-परुषों की समानता पर ध्यान दे रही हैं. डेटा के अनुसार सेवानिवृत्ति निधि निकाय के तहत साल 2018-19 में जोड़ी गई नई महिला कर्मचारियों की कुल संख्या 1.30 मिलियन से 2022-23 में बढ़कर 2.8 मिलियन हो गई है. इसमें 120% का इजाफा देखने को मिला है.
2019-20 में ईपीएफओ में जुड़ने वाली महिला कर्मचारियों की संख्या 1.59 मिलियन थी, लेकिन महामारी के प्रकोप के कारण 2020-21 में इसमें मामूली गिरावट आई थी, जिसके चलते ये आंकड़ा 1.39 मिलियन हो गया था. हालांकि 2021-22 में यह तेजी से बढ़कर 2.61 मिलियन हो गया. इसके अलावा, श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, असंगठित श्रमिकों के लिए तैयार किए गए ई-श्रम पोर्टल पर लगभग 53% महिला असंगठित श्रमिक पंजीकृत हुए.
श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव ने एक इंटरव्यू में बताया कि ईपीएफओ सदस्यता में वृद्धि महिलाओं के लिए नौकरी की औपचारिकता और संगठित और अर्ध-संगठित क्षेत्र के कार्यबल के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों के कवरेज का एक संकेत है. सरकार श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में सुधार करने, उनकी आर्थिक सुरक्षा और उनके रोजगार की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है.