देश में गेहूं की सप्लाई में कमी की आशंका को देखते हुए भारतीय खाद्य निगम यानी FCI ने सरकार से गेहूं आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी पूरी तरह हटाने की सिफारिश की है. रिपोर्ट में सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि FCI ने अपने प्रस्ताव में फरवरी तक गेहूं पर आयात शुल्क पूरी तर हटाने के लिए कहा है. फरवरी के बाद देश में पैदा होने वाले गेहूं की नई फसल आना शुरू हो जाती है. शुक्रवार को ही केंद्रीय खाद्य सचिव ने कहा था कि सरकार गेहूं पर आयात शुल्क घटाने या पूरी तरह हटाने पर विचार कर रही है. देश में फिलहाल गेहूं के आयात पर 40 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी है और 4 फीसद अतीरिक्त सेस लगता है.
इस साल देश में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद मंडियों में गेहूं की सप्लाई कम है जिस वजह से बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. दिल्ली में गेहूं का भाव 2500 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर चल रहा है जबकि सरकार ने इसका समर्थन मूल्य 2125 रुपए घोषित किया हुआ है.
दरअसल पिछले इस साल नई फसल के बाजार में आने से ठीक पहले पुरानी फसल के गेहूं का भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था. जनवरी और फरवरी के दौरान दिल्ली में भाव 3200 रुपए प्रति क्विंटल हुआ करता था और कई कृषि उपज मंडियों में किसानों को 2800-2900 रुपए का भाव मिला है. पिछले साल रिकॉर्ड भाव देख चुके किसान इस साल अपने गेहूं को बेचने की जल्दबाजी में नजर नहीं आ रहे. यही वजह है कि इस साल मंडियों में आवक कम है. एगमार्कनेट के आंकड़े बताते हैं कि बीते जुलाई के दौरान देशभर की कृषि उपज मंडियों में 12.75 लाख टन गेहूं की आवक हुई है जबकि पिछले साल इस दौरान यह आंकड़ा 14.42 लाख टन था.
सरकार ने इस साल देश में 11.27 करोड़ टन गेहूं पैदा होने का अनुमान लगाया है जिसमें 2.62 करोड़ टन गेहूं की सरकार खरीद भी कर चुकी है. इसके अलावा करीब 1 करोड़ टन गेहूं कारोबारियों और मिलों के पास पड़ा हुआ है. किसान भी अपनी जरूरत के लिए करीब 3.5 करोड़ टन गेहूं रखते हैं. ऐसे में गेहूं के सरकारी उत्पादन अनुमान को आधार मानें तो इस साल मंडियों में 4 करोड़ टन से ज्यादा गेहूं की आवक रुकी हुई है. इसी रुकी हुई आवक की वजह से गेहूं का भाव बढ़ रहा है.
सरकार के पास भी इस साल गेहूं का ज्यादा स्टॉक नहीं है जो उस समय इस्तेमाल किया जा सके जब बाजार में भाव ज्यादा बढ़ रहा हो. इस साल पहली जुलाई तक केंद्रीय पुल में 301 लाख टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है. इसमें अधिकतर गेहूं राशन की सप्लाई और सरकार की अन्य जरूरतों में खप जाएगा और खुले बाजार में उतारने के लिए ज्यादा गेहूं नहीं बचेगा. यही वजह है कि घरेलू सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए भारतीय खाद्य निगम गेहूं आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाने की बात कर रहा है.