फॉरेक्स मार्केट में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को उस स्तर पर पहुंच गया, जिस स्तर पर पहले कभी नहीं था. सोमवार को दिन के कारोबार में डॉलर का भाव 83.13 रुपए दर्ज किया गया, भारतीय फॉरेक्स मार्केट में पहले कभी भी डॉलर इस भाव पर नहीं बिका. शाम को रुपया 2 पैसे की गिरावट के साथ 83.12 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
इस गिरावट का कारण कच्चे तेल के दाम में तेजी तथा विदेशी निवेशकों का बिकवाली दवाब है। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने के कारण रुपये में नकारात्मक रुझान के साथ कारोबार हो सकता है। पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया एक पैसे की गिरावट के साथ 83.10 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस गिरावट का कारण घरेलू शेयर बाजार में कमजोर रुख तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी बनी हुई है, ब्रेंट क्रूड का भाव 85 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर है, महंगे क्रूड की वजह से देश में कच्चे तेल के आयात पर डॉलर का खर्च बढ़ गया है जिस वजह से रुपए पर दबाव देखा जा रहा है.
कच्चे तेल में तेजी के अलावा शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली की वजह से भी रुपए पर दबाव है, सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने शुक्रवार को 266.98 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
रुपए में आई इस गिरावट की वजह से देश में आयातित वस्तुओं की महंगाई भड़क सकती है. विदेशों से आयात होने वाली वस्तुओं के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है और कमजोर रुपए की वजह से डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ेंगे, यानी सीधे महंगाई बढ़ेगी. देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के अलावा इलेक्ट्रोनिक्स का ज्यादा आयात होता है, रुपए में गिरावट से इन सभी के आयात पर लागत बढ़ेगी. साथ में विदेश घूमना, विदेश में पढ़ाई की फीस चुकाना या विदेश से कोई सेवा लेना भी पहले के मुकाबले महंगा पड़ेगा.