मार्च, 2023 तक केंद्र सरकार का कर्ज 155.6 लाख करोड़ रुपए हो गया है. वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार का कर्ज जीडीपी के 57.1 फीसदी हो गया है. हालांकि 2020-21 में कर्ज का यह आंकड़ा जीडीपी का 61.5 फीसद था.राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी.
बढ़ गया कर्ज
राज्यसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक ऐसा लगता है कि दो साल के भीतर केंद्र सरकार का कर्ज कम हुआ है. हालांकि सरकारी आंकड़ो की जांच पड़ताल से पता है चला है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार का कर्ज कम नहीं बल्कि बढ़ा है. वित्त वर्ष 2022-23 में मौजूदा दर पर जीडीपी का आकार 2,72,40,712 रुपए था. इसका 57.1 फीसद 1,55,54,446.6 रुपए होगा. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 में मौजूदा दर पर जीडीपी का आकार 1,98,29,927 रुपए था. इसका 61.5 फीसद 1,21,95, 405.1 रुपए होगा. इसका सीधा सा मतलब है कि दो साल के भीतर केंद्र सरकार का कर्ज 3,359,041.5 रुपये बढ़ गया है. हालांकि इस दौरान जीडीपी का आकार 7,410,785 रुपए से बढ़ा है.
इस साल कितना कर्ज लेगी सरकार
एक अन्य सवाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा गया था कि सरकार इस वित्त वर्ष कितना कर्ज लेने की योजना बना रही. जवाब का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार के वित्त के लिए कर्ज संसाधन जुटाने की योजना के बारे में जानकारी वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा बजट 2023-24 दस्तावेजों में उपलब्ध है. बजट में यह जानकारी दी गई थी कि सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकार इस वित्त वर्ष 15.4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगी. वित्त मंत्री ने राज्य सभा में आगे बताया कि केंद्र सरकार मुख्य रूप से अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में अलग-अलग जगह से 17.99 लाख करोड़ रुपए के शुद्ध ऋण संसाधन जुटाने की योजना बना रही है. यह राशि केंद्रीय बजट 2023-24 के कुल शुद्ध आकार ₹45.03 लाख करोड़ का लगभग 40 फीसद है.
राज्यों को बांटा कितना कर्ज
एक अन्य सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ने विभिन्न राज्यों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सिंचाई और बिजली आदि क्षेत्रों में पूंजी का निर्माण करने के लिए अलग-अलग परियोजनाओं के तहत 50 साल का ब्याज मुक्त कर्ज जारी किया है. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान,केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों को पूंजीगत व्यय/निवेश के लिए विशेष सहायता योजना के तहत 84,883.90 करोड़ रुपए मंजूर किए है. इस कर्ज में से अब तक 29,517.66 करोड़ रुपये वितरित भी किए जा चुके हैं.