चढ़ते पारे के साथ ही बिजली की मांग बढ़ रही है. भारत की दैनिक बिजली खपत 220 गीगावाट (Gw) के स्तर को छू गई है. ये देश के इतिहास में दैनिक बिजली ज़रूरत का रिकॉर्ड स्तर है. बिजली मंत्रालय ने अप्रैल-जून के महीनों के दौरान देश की बिजली मांग के 220 Gw के पार पहुंचने का अनुमान पहले ही लगा लिया था. कोयले की कमी से आने वाले दिनों में लोगों को बिजली संकट की भारी मार झेलनी पड़ सकती है.
देश भर में तापमान बढ़ने के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि जब तक मानसून बारिश से राहत नहीं देता तब तक पीक डिमांड 220 Gw के निशान को भी पार कर जाने की संभावना है. ऐसे में गर्मियों में रात के समय बिजली की मांग और आपूर्ति का अंतर 1.7 फीसद पर पहुंच सकता है. देश में कोयला आपूर्ति की समस्या पहले से ही बनी हुई. हाइड्रो पावर का उत्पादन अप्रैल में एक साल पहले की तुलना में 18 फीसद कम रहा है. लोकल सर्किल के एक सर्वे के अनुसार 85 फीसद भारतीय परिवारों को हर दिन बिजली की कमी का सामना करना पड़ता है.
हालांकि केंद्र सरकार ने बिजली की ऊंची मांग को ध्यान में रखकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. विद्युत मंत्रालय ने इस साल घरेलू कोयले की संभावित उपलब्धता लगभग 201 मीट्रिक टन होने की उम्मीद जताई गई थी जबकि ज़रूरत 222 मीट्रिक टन है. इसकी वजह से घरेलू कोयले की आपूर्ति में 1 लाख से 3 लाख टन की रोज़ाना कमी होगी. इसी पर विचार करते हुए, बिजली मंत्रालय ने इस साल जनवरी में सभी बिजली उत्पादन कंपनियों (जेनकोस) को अपनी कुल आवश्यकता के 6 फ़ीसदी तक कोयले का अनिवार्य रूप से आयात करने का निर्देश दिया था. करीब 6 राज्यों और सेंट्रल पीएसयू एनटीपीसी लिमिटेड ने पहले ही आयातित कोयले के टेंडर लगा दिए हैं. लेकिन ये बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्रयास काफी होंगे इसमें संशय है.
दरअसल, अप्रैल में बेमौसम बारिश के चलते बिजली की मांग नहीं बढ़ी और इस वजह से घरेलू कोयले पर्याप्त मात्रा में मौजूद है. इस समय थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले का औसत दैनिक भंडार 32 मीट्रिक टन है जिसमें घरेलू और आयातित दोनों तरह का कोयला है. 13 दिनों तक ये पावर प्लांट चल सकते है. वहीं देश के सबसे बड़े बिजली उत्पादक एनटीपीसी के पास अभी 12-15 दिनों का कोयले का भंडार है.