केंद्र सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है, गुरुवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिसूचना में कहा गया है कि अगले आदेश तक सिर्फ उसी चावल के निर्यात की अनुमति होगी जिसके लिए पहले से सौदे हो चुके हैं और निर्यातकों के पास लेटर ऑफ क्रेडिट हैं. इसके अलावा सरकार चाहे तो गरीब देशों को उनकी खाद्य जरूरत के लिहाज से, वहां की सरकार की मांग पर चावल निर्यात पर फैसला ले सकती है.
सरकार के फैसले को उद्योग ने बताया गलत
गैर बासमती चावल निर्यात पर प्रतिबंध को चावल उद्योग ने सरकार का गलत कदम बताया है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि सरकार के इस कदम से चावल निर्यातक तो प्रभावित होंगे ही साथ में किसानों पर भी मार पड़ेगी, क्योंकि देश से चावल निर्यात नहीं होगा तो किसानों को भी उनकी फसल का सही भाव नहीं मिल पाएगा.
चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है भारत
दुनियाभर में भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, पूरी दुनिया में जितना चावल निर्यात होता है उसमें करीब 40 फीसद चावल भारत से ही एक्सपोर्ट होता है. पूरी दुनिया के 150 से ज्यादा देश भारत से चावल खरीदते हैं और भारत से निर्यात होने वाले चावल में अधिकतर हिस्सेदारी गैर बासमती चावल की है. वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भारत से करीब 223 लाख टन चावल का निर्यात हुआ है जिसमें लगभग 178 लाख टन गैर बासमती चावल था. ऐसे में भारत की तरफ से चावल निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध पूरी दुनिया में खाद्य संकट पैदा कर सकता है.
मानसून के बिगड़े संतुलन की वजह से इस साल देश में धान की खेती पिछड़ी हुई है जिस वजह से चावल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. 14 जुलाई तक देशभर में धान का रकबा करीब 8 लाख हेक्टेयर पिछड़ा हुआ दर्ज किया गया है और 123 लाख हेक्टेयर में खेती हो पाई है. धान का रकबा पिछड़ने की वजह से पैदावार पर असर पड़ सकता है जो आगे चलकर चावल की कीमतों को बढ़ा सकता है, इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाई है.