लोग नाराज हैं. साथ में डर का माहौल भी है. ई-कॉमर्स स्टार्टअप ‘दुकान’ ने करीब 90 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. इनकी जगह अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वाले चैटबॉट काम करेंगे. छंटनी की इस खबर के बाद से नेटीजन कंपनी के संस्थापक और सीईओ (CEO) सुमित शाह को कोस रहे हैं. साथ ही सामने आ रहे हैं वो डर कि अगला नंबर मेरा तो नहीं?
दुकान, बायजूस जैसे स्टार्टअप हों या इंफोसिस, माइक्रोसॉफ्ट, विप्रो जैसी दिग्गज IT कंपनियां, हर तरफ छंटनी का दौर चल रहा है. इसी बीच तकनीक क्षेत्र को उसके अगले पड़ाव पर ले जाने वाली AI नौकरियां खाती नजर आ रही है.
मेकैंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के आने से साल 2030 तक करीब 80 करोड़ रोजगारों में उथल-पुथल मचेगी. इसमें करीब 40 करोड़ कामगारों को अपने काम करने का तरीका बदलना पड़ेगा. साथ ही स्किल को बेहतर बनाने के लिए नए ढंग से पढ़ाई करनी होगी.
किसकी जाएगी नौकरी?
अब ये 80 करोड़ लोग कौन होंगे और किन 40 करोड़ के काम का तरीका बदलेगा, यह समझना जरूरी है. रिसर्च कंपनी ब्रुकिंग्स का अध्ययन कहता है कि AI और मशीन लर्निंग अब तक हुए ऑटोमेशन से कहीं अलग हैं. अब तक सिर्फ एक ही जैसी प्रक्रिया दोहराने का काम इनके जरिए किया जा रहा था. AI और मशीन लर्निंग उन क्षेत्र या काम में दखल दे रहे हैं जो अभी से पहले अछूते थे. जैसे कि अकाउंटिंग, सॉफ्टवेयर, स्वास्थ्य, कानून, रिटेल. Money9 के खास कार्यक्रम Economicom के 26 फरवरी वाले एपिसोड (टेक कंपनियों में छंटनी, चैट GPT की शुरुआत, अब आगे क्या होगा?) में इस पर विस्तृत रूप से चर्चा हो चुकी है.
क्रिएटिविटी, इमोशनल इंटेलिजेंस और मशीनें
तमाम रिपोर्ट, रिसर्च को पढ़कर अगर उनका सार निकाला जाए तो दो बातें मुख्य रूप से निकल कर आती हैं. पहली, जिस काम को करने में क्रिएटिविटी या इमोशनल इंटेलिजेंस की जरूरत नहीं होती, या जहां एक ही काम बार-बार दोहराया जाता है, उन पर AI का खतरा मंडरा रहा है. उत्पादन, कस्टमर सर्विस खासतौर पर ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इस आधुनिक तकनीक का दबदबा बढ़ रहा है.
स्किल का महत्व
दूसरी, स्किल का बहुत महत्व है. जितनी ज्यादा क्षमता चमकेगी, उतना मशीन का आपकी जगह ले पाना मुश्किल होगा. स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाला वह व्यक्ति जिसका काम मेडिकल इमेज को पढ़ना और उसके हिसाब से बेहतर इलाज में मदद करना है, उसकी जगह आज AI वाले टूल लेने लगे हैं. जबकि डॉक्टर का महत्व अब भी उतना ही है.
यानी, किसी काम को करने में कितने स्किल की जरूरत होती है यह भी तय करेगा कि मानव दखल खत्म होगी या नहीं. सीमित क्षमता के साथ होने वाली मिड-लेवल जॉब में टेक्नोलॉजी की दखल दिखने लगी है जबकि हाई-एंड स्किल वालों का विकल्प अभी नहीं है.
लंबी रेस का घोड़ा
इन तमाम बातों पर गौर करके भविष्य की जरूरतों को पूरा करने वाली नौकरियों के लिए खुद को तैयार किया जा सकता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट कहती है कि ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी कुछ नौकरियों को खत्म तो करेगी, लेकिन कई मायनों में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 तक AI एक तरफ 8.5 करोड़ नौकरियां खाएगी. दूसरी ओर करीब 9.7 करोड़ नए रोजगार पैदा करेगी. इसका मतलब है कि इन जॉब पर अपग्रेडेड स्किल के साथ दावा करने वाले लंबी रेस का घोड़ा बन सकते हैं.