राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (नारेडको) के अध्यक्ष राजन बंदेलकर का मानना है कि आम लोगों के लिए किफायती घर बनाने के लिए विभिन्न स्तर पर करों को हटाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एक करोड़ रुपए का घर लेने पर 33 से 36 लाख रुपये कर के रूप में जाते हैं. बंदेलकर ने कहा कि आज दुर्भाग्य से रियल स्टेट क्षेत्र में डेवलपर का ‘मार्जिन’ एकल अंक में है। सरकार को अपना अंश (शेयर) कम करना होगा.
उन्होंने कहा कि अगर आज आप एक करोड़ रुपये का मकान खरीदते हैं, तो 33 लाख से 36 लाख रुपए सरकार के खाते में किसी न किसी कर के रूप में जाते हैं. मैं आयकर की बात नहीं कर रहा हूं. ये विभिन्न कर व राजस्व केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन को मिलता है. इस तरह मकान की कुल कीमत का एक तिहाई-हिस्सा सरकार को जाता है. बंदेलकर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा घरों को किफायती बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की सराहना करते हुए उनसे कुछ कर हटाने की गुजारिश भी की.
उन्होंने कहा कि सरकार किफायती घरों के लिए काफी बेहतरीन काम कर ही है, लेकिन इसे और किफायती बनाने के लिए इन सभी करों को हटाना होगा. बंदेलकर ने नारेडको की 25वीं वर्षगांठ पर हैदराबाद में आयोजित एक कार्यक्रम से इतर कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लाने से पहले सरकार ने कहा था कि चुंगी कर हटाया जाएगा, जिसे हटाया भी गया. हालांकि, अब भी स्टाम्प शुल्क, स्थानीय कर (लोकल टैक्स) जैसी कई बाधांए हैं जो आवास खरीदने वालों पर भार बढ़ा रही हैं. सरकार को इसपर गौर करना चाहिए.
कार्यक्रम के दौरान बंदेलकर ने विश्वास जताया था कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचा क्षेत्र का योगदान अगले कुछ साल में उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगा, जो इसकी क्षमता के कारण मौजूदा सात प्रतिशत को पार कर जाएगा. उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि नारेडको किफायती आवास और अन्य विकास कार्यों में सरकार को पूरा समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.