आटा मिलों के सर्वे में इस साल गेहूं उत्पादन 10.5 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया गया है, जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 30 लाख टन अधिक होगा. पिछले साल आटा मिलों ने 10.2 करोड़ टन का अनुमान लगाया था. हालांकि मिलों के उत्पादन अनुमान की तुलना अगर सरकार के अनुमान से करें, तो उसमें करीब 70 लाख टन का अंतर है. सरकार ने इस साल रिकॉर्ड 11.2 करोड़ टन गेहूं पैदा होने का अनुमान लगाया है, जो कि पिछले साल की तुलना में 1.39 फीसद ज्यादा है.
सर्वे में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में गेहूं के कुल रकबे में 1 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि औसत पैदावार में तकरीबन 2 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. राज्य वार सर्वेक्षण में पाया गया है कि गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों में से महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में इस साल फसल का रकबा कम दर्ज किया गया है, लेकिन हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बता दें कि सरकार ने इस साल करीब 3.1-3.2 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य लक्ष्य रखा है, जो कि पिछले साल के करीब 2.6 करोड़ टन की खरीद से काफी ज्यादा है.
दरअसल, सरकार को अपने गेहूं के भंडार को बढ़ाने के लिए खरीद में बढ़ोतरी करना अनिवार्य हो गया है. गौरतलब है कि पिछले कुछ साल में खरीद कमजोर रहने की वजह से स्टॉक कई साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. सरकार की ओर से गेहूं की खरीद कम रहने के पीछे वजह थी कि किसानों ने सरकार के बजाय ज्यादा भाव पर निजी खरीदारों को अपनी उपज की बिक्री की थी. 1 मार्च 2024 तक कम खरीद की वजह से केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक सात साल के निचले स्तर 97 लाख टन पर पहुंच गया था.
इधर, सरकारी एजेंसियां किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद बढ़ाने लगी हैं. सोमवार तक देशभर में एजेंसियों ने किसानों से 7.74 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली थी, जिसमें अधिकतर खरीद मध्य प्रदेश से हुई है. पंजाब में अभी खरीद शुरू होना बाकी है.