जनवरी में अबतक गेहूं की कीमतों में 5.5 फीसद से ज्यादा की तेजी आ चुकी है. 1 जनवरी को दिल्ली में गेहूं का भाव 2,593.05 रुपए प्रति क्विंटल था, जो कि अब 2,740.10 रुपए के स्तर पर पहुंच गया है. सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं. बता दें कि सरकार के बफर स्टॉक से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री 6.25 मिलियन टन से ज्यादा हो गई है. भारतीय खाद्य निगम यानी FCI ने थोक खरीदारों को रिकॉर्ड 0.37 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की है, जो कि जून में साप्ताहिक ई-नीलामी शुरू होने के बाद से सबसे ज्यादा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2,800 से ज्यादा बोलीदाताओं ने खुले बाजार बिक्री योजना यानी OMSS के तहत 2,128 रुपए प्रति क्विंटल के आरक्षित मूल्य की तुलना में 2,234 रुपए प्रति क्विंटल की औसत कीमत पर 0.37 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी की है. इस समय गेहूं का भाव मौजूदा सीजन के न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपए प्रति क्विंटल के ठीक ऊपर है. पूर्व की नीति के तहत एफसीआई सिर्फ लीन सीजन (जनवरी-मार्च) के दौरान आटा मिलों जैसे थोक खरीदारों को सरप्लस गेहूं की बिक्री कर रहा था. 2024-25 मार्केटिंग सीजन (अप्रैल-जून) के लिए गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी.
भारतीय खाद्य निगम के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक कुमार मीना के मुताबिक खुले बाजार में गेहूं की बिक्री से कीमतों को स्थिर करने में मदद मिली है. उनका कहना है कि एफसीआई मार्च के मध्य तक गेहूं की बिक्री पर विचार कर रहा है और उसके परिणामस्वरूप अप्रैल तक अनाज का स्टॉक 7.46 मिलियन टन के बफर के करीब आ जाएगा. 1 जनवरी के लिए 13.8 मिलियन टन के बफर के मुकाबले मौजूदा समय में एफसीआई के पास गेहूं का स्टॉक 16.44 मिलियन टन है जो कि 2016 के बाद का निचला स्तर है. ओएमएसएस के तहत 2022-23 में एफसीआई ने 3.3 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की थी. 2018-19 में एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत सबसे ज्यादा 8.1 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की थी.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।