पहले मानसून सीजन में बरसात की कमी और उसके बाद पोस्ट मानसून सीजन में भी सामान्य से कम बारिश की वजह से इस साल रबी फसलों की खेती पर असर पड़ा है. बरसात की कमी की वजह से जमीन में नरमी कम है जिस वजह से इस साल ज्यादातर रबी फसलों की खेती पिछले साल के मुकाबले पिछड़ी हुई है. गेहूं और चने की खेती पर ज्यादा मार पड़ी है.
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 24 नवंबर तक देशभर में रबी दलहन का रकबा करीब 9 लाख हेक्टेयर पिछड़ा हुआ दर्ज किया गया है, सभी रबी दलहन में चने की खेती पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है. 24 नवंबर तक देशभर में 66.19 लाख हेक्टेयर में चने की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान 75.07 लाख हेक्टेयर में फसल लग चुकी थी. कुल दलहन रकबे की बात करें तो 24 नवंबर तक 94.74 लाख हेक्टेयर में खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान 103.59 लाख हेक्टेयर में फसल दर्ज की गई थी.
चने की तरह गेहूं का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले करीब 7 लाख हेक्टेयर पिछड़ा हुआ दर्ज किया गया है, 24 नवंबर तक देशभर में 141.87 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान 149.05 लाख हेक्टेयर में फसल लगी थी. रबी दलहन और गेहूं की तरह रबी धान की खेती भी पिछड़ी हुई है, हालांकि तिलहन की खेती लगभग पिछले साल जैसी ही है. 24 नवंबर तक देशभर में 82.01 लाख हेक्टेयर में रबी तिलहन की खेती दर्ज की गई है जिसमें 77.78 लाख हेक्टेयर में सरसों की फसल है. पिछले साल इस दौरान 82.53 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती हुई थी.
रबी फसलों की खेती में आई कमी की वजह से इनके उत्पादन में कमी की आशंका बढ़ गई है, हालांकि बहुत कुछ इसबात पर निर्भर करेगा कि आगे चलकर मौसम कैसा रहता है. अगर मौसम की स्थिति में सुधार होता है और आगे चलकर मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो रबी फसलों की खेती बढ़ने के साथ उपज़ बढ़ने की संभावना भी मजबूत होगी.