सरकार की ओर से गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिशों के बावजूद इसका भाव लगातार बढ़ रहा है. अक्टूबर महीने में अब तक गेहूं की कीमतों में 4 फीसद से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई है. आंकड़ों के मुताबिक गेहूं का भाव 8 महीने की ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है. बता दें कि अक्टूबर की शुरुआत में राजधानी दिल्ली में गेहूं का औसत थोक भाव 2,598 रुपए प्रति क्विंटल था, जो कि अब बढ़कर 2,700 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर चला गया है. गौरतलब है कि गेहूं के दाम में बढ़ोतरी ऐसे समय में हो रही है जब त्योहार सीजन सामने हैं. गेहूं महंगा होने की वजह से आटा, मैदा और सूजी के दाम बढ़ने की आशंका है. गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी से ब्रेड और बिस्कुट भी महंगा हो सकता है.
सरकार लगातार खुले बाजार में बेच रही गेहूं सरकार गेहूं की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए अपने भंडार से खुले बाजार में लगातार गेहूं बेच रही है. सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 4 अक्टूबर 2023 को आयोजित 15वीं साप्ताहिक ई-नीलामी में आटा मिल जैसे थोक उपभोक्ताओं को 1.89 लाख टन गेहूं की बिक्री की है. बता दें कि घरेलू उपलब्धता में सुधार और खुदरा कीमतों को कम करने के लिए थोक उपयोगकर्ताओं को खुला बाजार बिक्री योजना यानी ओएमएसएस के तहत गेहूं और चावल की बिक्री की जा रही है.
खाद्य मंत्रालय के अनुसार 4 अक्टूबर को आयोजित साप्ताहिक ई-नीलामी में 2.01 लाख टन गेहूं की पेशकश के मुकाबले करीब 1.89 लाख टन गेहूं की बिक्री दर्ज की गई थी. बता दें कि नीलामी के तहत उचित और औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) गेहूं के लिए आरक्षित मूल्य 2,150 रुपए प्रति क्विंटल के मुकाबले भारित औसत बिक्री मूल्य 2,185.05 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि ढील वाले मानदंडों (यूआरएस) के तहत गेहूं का भारित औसत बिक्री मूल्य 2,193.12 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि आरक्षित मूल्य 2,125 रुपए प्रति क्विंटल था. सरकार खुले बाजार में नीलामी के जरिए इस साल अबतक करीब 22 लाख टन गेहूं की बिक्री कर चुकी है. हालांकि सरकार की गेहूं की लगातार बिक्री के बावजूद कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है.
रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन का अनुमान गौरतलब है कि देश में इस साल गेहूं की रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है लेकिन रिकॉर्ड उपज के बावजूद किसानों से गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. बता दें कि सरकार ने किसानों से इस साल 342 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया हुआ था, जबकि खरीद 262 लाख टन गेहूं की हो पाई है. इस साल जनवरी के दौरान गेहूं का थोक भाव 3,200 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गया था. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि ऊंचा भाव पाने की आशा में किसानों ने अपने गेहूं रोककर रखा है और वजह है कि सरकारी खरीद पूरा नहीं हो पाई है.
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