केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा है कि भारत ने ब्राजील से 3,000 टन उड़द का आयात किया है और इस साल 20,000 टन और आयात किया जा सकता है. उन्होंने नवंबर में ब्राजील के कारोबारियों और अधिकारियों से भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरत को पूरा करने के लिए वहां पर तुअर और उड़द की खेती करने के लिए आग्रह किया था. इसके अलावा उन्होंने वैश्विक कारोबारियों खासकर पूर्वी अफ्रीका और म्यांमार के कारोबारियों को दालों की कीमतों में मेनिपुलेशन के लिए चेतावनी भी जारी की है.
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि देश में 1.4 अरब उपभोक्ताओं के लिए किफायती कीमत पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है. उनका कहना है कि हम मुख्य रूप से शाकाहारी देश हैं और जैसे-जैसे लोगों के आय का स्तर बढ़ रहा है. दालों के माध्यम से प्रोटीन की खपत भी बढ़ रही है. ऐसे में दालों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सिर्फ म्यांमार पर निर्भर नहीं रहा जा सकता और इसके लिए ब्राजील और अर्जेंटीना में दलहन उत्पादन के बारे में विचार किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि ब्राजील से करीब 3,000 टन उड़द भारत आ चुकी है और इस साल 20,000 टन और आने की उम्मीद है. साथ ही ब्राजील के साथ तुअर इंपोर्ट को लेकर भी अपनी चर्चा को आगे बढ़ाएंगे. गौरतलब है कि पिछले साल भारत ने 3.1 मिलियन टन दलहन का आयात किया था. आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब 28 मिलियन टन दलहन उत्पादन होता है. हालांकि उत्पादन के मुकाबले खपत ज्यादा होने से भारत को तुअर, उड़द और मसूर के लिए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, म्यांमार, मोजाम्बिक, तंजानिया, सूडान और मलावी से होने वाले आयात पर निर्भर रहना पड़ता है.
2011 के बाद से कुछ सुधार के बावजूद डिमांड और सप्लाई के बीच का अंतर लगातार बढ़ रहा है, जिससे भारत को सालाना 2.5-3 मिलियन टन दलहन का आयात करना पड़ता है. बीते अक्टूबर में कृषि मंत्रालय ने तुअर और चना जैसी प्रमुख दालों के उत्पादन में गिरावट की वजह से फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के लिए दलहन उत्पादन के अपने अंतिम अनुमान को संशोधित करते हुए घटाकर 26 मिलियन टन कर दिया था. कृषि मंत्रालय ने मई में 27.5 मिलियन टन दलहन उत्पादन का अनुमान जारी किया था.