उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को इस साल दिवाली बोनस मिल सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार गन्ने पर राज्य समर्थित मूल्य यानी SAP में 25-30 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर सकती है. अक्टूबर से शुरू होने वाले फसल वर्ष 2023-24 के लिए SAP बढ़कर 380 रुपए प्रति क्विंटल हो सकता है. आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार यह कदम उठा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अन्य किस्मों के लिए भी इसी तरह की बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक उन राज्यों में से हैं, जो कि एसएपी के आधार पर अपना गन्ना खरीद मूल्य तय करते हैं. वहीं दूसरी ओर अन्य राज्य कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश पर केंद्र द्वारा तय किए गए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का पालन करते हैं. दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा संचालित उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बजाज हिंदुस्तान शुगर के गन्ने के लिए बकाये को चुकाने के लिए बनाए गए एस्क्रो खाते में 1,361 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं. गन्ने के लिए ये बकाये ज्यादातर 2022-23 चीनी सीजन के हैं, जो कि 30 सितंबर, 2023 को खत्म हुआ है. बता दें कि 2021 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार गन्ने की सप्लाई और खरीद के लिए संशोधित अधिनियम लेकर आई थी.
नए कानून से किसानों को गन्ने के बकाये का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार या उसके किसी भी निगम के प्रति चीनी निर्माता कंपनी की किसी भी सहायक कंपनी या सहयोगी के बकाया, ऋण या निवेश को जब्त करने का अधिकार दिया. आदेश का तत्काल परिणाम तब सामने आया जब राज्य सरकार ने 1,000 करोड़ रुपए का उपयोग किया, जिसे राज्य सरकार के द्वारा बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड को भुगतान करना था. राज्य सरकार ने इस राशि का उपयोग समूह की एक अन्य कंपनी बजाज हिंदुस्तान शुगर से किसानों को मिलने वाले करीब 2,300 करोड़ रुपए के गन्ना बकाया के एक हिस्से को चुकाने के लिए किया गया था.
बकाया राशि का शेष हिस्सा हाल ही में लंबित बकाया राशि को चुकाने के उद्देश्य से बनाए गए एस्क्रो खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बजाज समूह से जुड़े सभी गन्ना किसानों के बैंक खातों में लंबित बकाया राशि हस्तांतरित की जाएगी. यह समूह से जुड़े 5,00,000 से अधिक गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी राहत होगी.