पिछले महीने की तुलना में मार्च के दौरान चने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल, मंडियों में नए चने की आवक, पीली मटर के आयात में बढ़ोतरी और सरकार के द्वारा 60 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर भारत दाल को उपलब्ध कराने जैसे कदमों ने चने की कीमतों में गिरावट में योगदान दिया है. एग्मार्कनेट के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने लगभग सभी उत्पादक राज्यों में चने का औसत मंडी भाव कम हो गया है.
मध्यप्रदेश की कई मंडियों जैसे हरदा और गंजबासौदा में मंगलवार को चने का मॉडल प्राइस न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP के स्तर के आसपास या उसके नीचे दर्ज किया गया था. इसी तरह राजस्थान की बूंदी और कोटा जैसी मंडियों में भी चने का मॉडल प्राइस न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे रहा था. गौरतलब है कि 2024-25 के रबी विपणन सीजन के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,440 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.
आवक बढ़ने पर कीमतों पर दबाव रहेगा
इंडिया पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन यानी IPGA के चेयरमैन बिमल कोठारी के मुताबिक चने की कीमतें स्थिर हैं, कुछ मंडियों में भाव एमएसपी के नीचे चला गया है और कुछ मंडियों में भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के आस-पास कारोबार कर रहा है. उनका कहना है कि चने की मांग सुस्त हो चुकी है. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में नए चने की आवक में बढ़ोतरी होने की संभावना है. ऐसे में चने की कीमतों में ऊपर जाने की गुंजाइश नहीं है.
गौरतलब है कि सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की समयसीमा को एक महीने बढ़ाकर अप्रैल तक कर दिया है. दाल कारोबारियों के मुताबिक पीली मटर का आयात खुलने के बाद से 30 अप्रैल तक 15 लाख टन पीली मटर के आयात का अनुमान है. बता दें कि 8 दिसंबर 2023 से पीली मटर के आयात को खोला गया था. सरकार के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक 2023-24 रबी सीजन में देश में चने का उत्पादन 121.61 लाख टन होने की संभावना है.