केंद्र सरकार ने इस साल बजट में फर्टिलाइजर सब्सिडी के खर्च का जो लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है. खर्च उससे ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस साल सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी के तौर पर 1.75 लाख करोड़ खर्च का बजट अनुमान लगाया है, लेकिन 6 महीने में ही इसका 64 फीसद से ज्यादा हिस्सा खर्च हो चुका है और संभावना है कि साल खत्म होने तक फर्टिलाइजर सब्सिडी का खर्च बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए पहुंच जाएगा.
हालांकि फर्टिलाइजर सब्सिडी का खर्च बढ़ने का असर फर्टिलाइजर की खुदरा कीमतों पर असर नहीं पड़ने की संभावना है. दरअसल, सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी का बोझ उठाने का आश्वासन दिया है जिससे किसानों को उनकी फसलों के लिए सस्ती दरों पर ये पोषक तत्व मिल सके. ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-सितंबर के दौरान कुल फर्टिलाइजर सब्सिडी 1,12,698.58 करोड़ रुपए थी, जिसमें से 70,497.88 करोड़ रुपए यूरिया पर और 42,200.7 करोड़ रुपए फॉस्फोरस (पी) और पोटाश (के) पर खर्च किए गए थे.
अधिकारियों के मुताबिक पूरे वित्तीय वर्ष के लिए फॉस्फोरस और पोटाश सब्सिडी के लिए कुल बजट आवंटन 44,000 करोड़ रुपए था और 6 महीने में इसका करीब 96 फीसद खत्म हो चुका है. सरकार ने चालू रबी सीजन (अक्टूबर-मार्च) के दौरान फॉस्फोरस और पोटाश के लिए 22,303 करोड़ रुपए की सब्सिडी आवंटित की है.
फर्टिलाइजर इंडस्ट्री से जुड़े एक विशेषज्ञ का कहना है कि मध्य-पूर्व में अगर भू-राजनीतिक तनाव के बीच मौजूदा स्तर पर वैश्विक बाजार में दरें स्थिर रहती हैं, तो 1.75 लाख करोड़ के अतिरिक्त कम से कम 20,000 करोड़ रुपए और जोड़ने होंगे. उनका कहना है कि आयात का एक बड़ा हिस्सा चालू सीज़न के लिए किया गया है और नवंबर-दिसंबर में ज्यादातर अनुबंध अगले साल की खरीफ सीजन में सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए होंगे.