त्योहारी सीजन में प्याज की महंगाई को नियंत्रित करने और घरेलू स्तर पर इसकी सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने इसके निर्यात पर सख्ती बढ़ा दी है. केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) की शर्त लागू की है, जिसके तहत 800 डॉलर प्रति टन से नीचे प्याज का एक्सपोर्ट नहीं होगा. भारतीय रुपए में देखें तो 67 रुपए प्रति किलो से नीचे की दर पर प्याज का निर्यात नहीं होगा. देश से प्याज के निर्यात पर 31 मार्च 2023 तक 40 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी पहले से ही लागू है. लेकिन 40 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी के बावजूद इसकी कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई थी, जिसे देखते हुए अब सरकार ने MEP की शर्त भी लगा दी है.
अक्टूबर के दौरान प्याज की कीमतों में जोरदार उछाल देखा गया है, देश के कई शहरों में औसत भाव 80 रुपए प्रति किलो के ऊपर निकल गया है. देश की राजधानी दिल्ली में तो अक्टूबर के दौरान प्याज की कीमतें दोगुनी हो गई हैं, उपभोक्ता विभाग के मुताबिक अक्टूबर की शुरुआत में दिल्ली में औसत भाव 38 रुपए प्रति किलो हुआ करता था और अब बढ़कर 75 रुपए प्रति किलो हो गया है. कृषि उपज मंडियों में भी प्याज की कीमतों में अक्टूबर के दौरान जोरदार उछाल आया है, महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में अक्टूबर की शुरुआत में भाव 20-25 रुपए प्रति किलो के बीच था जो अब बढ़कर 52 रुपए के पार चला गया है.
इस बीच सरकार की तरफ से उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर प्याज बेचे जाने के लिए बफर स्टॉक से ब्याज की बिक्री भी हो रही है. नैफेड और NCCF की गाड़ियों के जरिए 25 रुपए प्रति किलो की दर पर प्याज बेचा जा रहा है. अगस्त से अबतक इस प्रक्रिया के जरिए सरकार देशभर में बफर स्टॉक से करीब 1.7 लाख टन प्याज की बिक्री कर चुकी है.
जानकारों के मुताबिक प्याज की नई फसल की आवक में हो रही देरी की वजह से कीमतों में यह तेजी आई है, सामान्य तौर पर प्याज की नई फसल मंडियों में अक्टूबर की शुरुआत में पहुंच जाती है लेकिन इस बार इसमें देरी हुई है और नवंबर के मध्य तक नई फसल की आवक शुरू होने की आशंका है, तबतक कीमतों के ऊपर बने रहने की आशंका जताई जा रही है.