जीरे की खेती के रफ्तार पकड़ने से पहले इसकी कीमतों में गिरावट की शुरुआत हो गई है. बीते एक महीने के दौरान भाव करीब 17 फीसद टूट चुका है. गुजरात की राजकोट मंडी में एक महीना पहले औसत भाव 51,500 रुपए प्रति क्विंटल था, जो बुधवार को घटकर 42,500 रुपए पर आ गया. बता दें कि जीरे का भाव इस साल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था, जिस वजह से संभावना है कि किसान जीरे की खेती बढ़ा सकते हैं. यही वजह है कि कीमतों में गिरावट आ रही है. हालांकि शुरुआती खेती पिछले साल के मुकाबले पिछड़ी हुई है.
आंकड़ों के मुताबिक 6 नवंबर तक गुजरात में 1,542 हेक्टेयर में जीरे की खेती दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इस दौरान 3,866 हेक्टेयर में जीरे की बुआई हुई थी. इस साल प्रमुख जीरा उत्पादक क्षेत्रों में सामान्य से ज्यादा तापमान और लागत में बढ़ोतरी की वजह से बुआई में देरी हुई है. जीरा कारोबारियों का कहना है कि सामान्तया जीरे की बुआई 15-20 अक्टूबर के दौरान शुरू हो जाती है और कटाई मार्च में शुरू होती है, लेकिन इस साल अब तक जीरे के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में से एक गुजरात के कच्छ इलाके में 60 फीसद से कम क्षेत्र में बुआई शुरू हो पाई है.
कुछ किसानों का कहना है कि अगर तापमान कुछ और हफ्तों तक विपरीत रहता है तो किसानों का रुझान सौंफ की बुआई की ओर बढ़ सकता है. दरअसल, सौंफ की खेती पर तापमान में हुए बदलाव का बहुत ज्यादा असर नहीं होता है. कारोबारी सूत्रों के मुताबिक हाल ही में खत्म हुए सीजन में देश में जीरे का उत्पादन 2,50,000-2,70,000 टन था, जबकि कुछ साल पहले सामान्यतौर पर उत्पादन 3,10,000-4,50,000 टन दर्ज किया जाता था.
रिकॉर्ड ऊंचाई से फिसला भाव
गौरतलब है कि सितंबर के दौरान नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज यानी NCDEX पर जीरे का भाव 65,900 रुपए प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था. बुआई बढ़ने की संभावना और मांग में कमी से नवंबर की शुरुआत में एक्सचेंज पर भाव गिरकर 6 महीने के निचले स्तर 39,630 रुपए पर आ गया था.