सप्लाई में बढ़ोतरी की वजह से इस साल वैश्विक अनाज बाजार में कमजोरी की संभावना है. जानकारों का कहना है कि खाद्य एवं कृषि संगठन यानी FAO के खाद्य मूल्य सूचकांक में फरवरी तक लगातार सातवें महीने गिरावट इस बात की ओर स्पष्ट संकेत दे रहे हैं. FAO के मुताबिक फरवरी 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक (FPI) 117.3 प्वाइंट पर था, जो कि जनवरी की तुलना में 0.9 प्वाइंट कम था. बता दें कि एक साल पहले की अवधि की तुलना में एफपीआई 13.8 अंक नीचे था. मुख्य रूप से अनाज और वनस्पति तेलों में गिरावट की वजह से खाद्य मूल्य सूचकांक में कमजोरी दर्ज की गई थी और इससे चीनी, मांस और डेयरी उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की भरपाई हो गई है.
फिच सॉल्यूशंस की रिसर्च एजेंसी बीएमआई ने कहा है कि 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अनाज बाजारों के आउटलुक को लेकर मंदी का नजरिया है. हालांकि बीएमआई का कहना है कि मक्का और गेहूं जैसी कुछ वस्तुओं की कीमतों में हालिया गिरावट ने 2024 की शुरुआत के दौरान अनुमान लगाए गए गिरावट के स्तर को पार कर लिया है. अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद यानी आईजीसी ने कहा है कि 2023-24 में विश्व के कुल अनाज उत्पादन ज्यादा रहने का जो अनुमान लगाया गया है वह तकरीबन पूरी तरह से मक्के की वजह से है. औद्योगिक और भोजन के लिए खपत में बढ़ोतरी को शामिल करते हुए मक्के की खपत का पूर्वानुमान 2,310 मिलियन टन है. हालांकि मक्के का कैरीओवर स्टॉक 589 मिलियन टन से कम रह सकता है.
खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक फरवरी के महीने में वैश्विक स्तर पर सभी प्रमुख अनाजों की कीमतों में मासिक आधार पर गिरावट दर्ज की गई है. बीएमआई का कहना है कि अर्जेंटीना और ब्राजील में फसल ज्यादा रहने के अनुमान की वजह से मक्के के निर्यात मूल्य में गिरावट देखने को मिल रही है. इसके अलावा यूक्रेन के द्वारा सस्ते भाव पर मक्के का निर्यात करने से भी कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है.