देश में खरीफ फसलों तुअर, उड़द, कुछ मोटे अनाज और प्रमुख तिलहन मूंगफली का उत्पादन तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच सकता है. हालांकि चावल और अन्य अनाज के ज्यादा उत्पादन की वजह से कुल खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है. बैंक आफ बड़ौदा के खरीफ उत्पादन अनुमान को लेकर किए गए एक विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है. बता दें कि मानसून सीजन में बरसात सामान्य से 6 फीसद कम दर्ज की गई है. कमजोर बारिश और बुआई में देरी की वजह से खरीफ फसलों की बुआई पर नकारात्मक असर पड़ा है.
तुअर का उत्पादन घटने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक खरीफ सीजन में तिलहन, कपास, जूट और दलहन के रकबे में गिरावट दर्ज की गई थी. बैंक ऑफ बड़ौदा के विश्लेषण के मुताबिक 2023 खरीफ सीजन में तुअर का उत्पादन करीब 32.2 से 32.7 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल की तुलना में करीब 2.7 फीसद कम है. पिछले साल खरीफ सीजन में 33.1 लाख टन तुअर का उत्पादन हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक उड़द का उत्पादन करीब करीब 15 से 16 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 9-15 फीसद कम है. पिछले साल उड़द का उत्पादन 17.7 लाख टन दर्ज किया गया था.
चावल का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक देश में खरीफ मूंगफली का उत्पादन 79 से 82 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले खरीफ सत्र में हुए 85.6 लाख टन की तुलना में 4 से 7 फीसद कम हो सकता है. इसके अलावा देश में चावल का उत्पादन 1,130 से 1,150 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल खरीफ चावल का उत्पादन 1,105.1 लाख टन दर्ज किया गया था.
इस तिमाही महंगाई में कुछ कमी की उम्मीद
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री जाह्नवी प्रभाकर के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 1,580-1,620 लाख टन के बीच होने का अनुमान है या फिर पिछले साल के उत्पादन से 1.5-4 फीसद ज्यादा हो सकता है. उनका कहना है कि धान और गन्ना जैसी फसलों में सुधार होने से कुल उत्पादन में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है. क्रिसिल की प्रमुख अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे के मुताबिक सरकारी हस्तक्षेप के साथ-साथ खरीफ की फसल के बाज़ार में आने से इस तिमाही में खाद्य महंगाई में कुछ कमी आने की उम्मीद है.