उत्पादक क्षेत्रों में बारिश कमजोर रहने के बाद घरेलू उत्पादन में कमी की वजह से चालू वित्त वर्ष में दलहन आयात 6 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. दलहन उद्योग ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान दालों का आयात 3 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है, जो कि पिछले साल के 2.29 मिलियन टन से तकरीबन 31 फीसद ज्यादा है. बता दें कि मौसम की अनिश्चितताओं के कारण घरेलू दलहन उत्पादन में कमी की वजह से हाल के महीनों में दलहन की कीमतों में इजाफा दर्ज किया गया है.
गौरतलब है कि सरकार ने पीली मटर के आयात को 31 मार्च 2024 तक खोलने के अतिरिक्त मसूर, तुअर और उड़द जैसी दालों के शुल्क मुक्त आयात की सीमा को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है. सरकार ने घरेलू बाजार में दलहन की सप्लाई बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से यह कदम उठाया है.
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के अध्यक्ष बिमल कोठारी के मुताबिक पिछले साल चना का उत्पादन अच्छा रहा था, जबकि राजस्थान में सूखे की वजह से बीते खरीफ सीजन में मूंग के उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा था. उनका कहना है कि मौजूदा समय में तुअर, उड़द और मसूर जैसी दलहन के आयात पर निर्भरता है. उनका कहना है कि चालू वित्त वर्ष में करीब 3 मिलियन टन दलहन का आयात होने का अनुमान है.
डीजीसीआईएस आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान 1.96 मिलियन टन से ज्यादा दलहन का इंपोर्ट हो चुका है. इन दालों का मूल्य 14,057 करोड़ रुपए (1.69 अरब डॉलर) से ज्यादा था. इस अवधि के दौरान आयातित कुल दालों में से मसूर दाल का आयात 1 मिलियन टन से ज्यादा होने की संभावना है. आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2017-18 की अवधि के दौरान रिकॉर्ड 6.5 मिलियन टन दलहन का आयात किया था. उस दौरान कुल दलहन आयात में से पीली मटर का आयात बड़ी मात्रा में किया गया था. हालांकि पीली मटर, चना और मूंग जैसी किस्मों के आयात पर पाबंदियां लगाए जाने के बाद के वर्षों में आयात में गिरावट आई थी.