बीते एक साल में मोटे अनाज (Millets) का दाम दोगुना हो चुका है. रागी, ज्वार, ब्राउन टॉप समेत अन्य मोटे अनाज की कीमतों में पिछले एक साल में 40-100 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष अभियान और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इस सेक्टर में प्रवेश करने से मिलेट्स की मांग में इजाफा दर्ज किया जा रहा है. इसके अलावा अनियमित मौसम की वजह से इसकी सप्लाई भी प्रभावित हो रही है जिससे कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है.
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि मोटे अनाजों से बने पाश्ता, नूडल्स और स्नैक्स जैसे नए प्रोडक्ट को लॉन्च करने, नाश्ते में मोटे अनाज को शामिल करने और पारंपरिक आटे की जगह मोटे अनाज की बढ़ती खपत की वजह से मोटे अनाज की मांग को बढ़ा दिया है. साथ ही सालाना आधार पर दोगुनी रफ्तार से ग्रोथ कर रहे मोटे अनाजों पर आधारित स्टार्टअप को मोटे अनाज की खेती वाले इलाकों में अनियमित मौसम के साथ ही गेहूं और चावल की तुलना में कम उत्पादन की वजह से अच्छी गुणवत्ता वाले मिलेट की पर्याप्त सप्लाई के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना के ज्वार उत्पादक इलाकों में सूखा और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में ब्राउट टॉप फसल उत्पादक इलाकों में ज्यादा बारिश की वजह से मिलेट के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है जिससे कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि गेहूं की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले ज्वार और रागी का दाम क्रमशः 150 फीसद और 45 फीसद ज्यादा महंगा हो गया है. उनका कहना है कि हर महीने मोटे अनाजों की कीमतों में 15-20 फीसद की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. साथ ही इनकी कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलती है.