प्याज के बाद लहसुन की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. बीते 2 महीने के दौरान लहसुन की कीमतों में 80 फीसद से ज्यादा का उछाल आया है. सबसे ज्यादा लहसुन पैदा करने वाले राज्य मध्य प्रदेश की मंदसौर मंडी में 2 महीने पहले भाव 100 रुपए किलो के नीचे था और अब भाव 177 रुपए किलो के ऊपर पहुंच गया है. सप्लाई में कमी की वजह से खुदरा मार्केट में लहसुन का भाव बढ़कर 300-400 रुपए प्रति किलो हो गया है. महाराष्ट्र के प्रमुख लहसुन उत्पादक इलाकों नासिक और पुणे में विपरीत मौसम की वजह से फसल खराब होने के कारण महाराष्ट्र में सप्लाई घट गई है. सप्लाई कम होने की वजह से राज्य थोक कारोबारी पड़ोसी राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से लहसुन की खरीदारी कर रहे हैं जिससे लॉजिस्टिक्स की लागत और अन्य शुल्क में बढ़ोतरी हो गई है.
महाराष्ट्र की वाशी एपीएमसी मंडी में कमजोर सप्लाई की वजह से बीते कुछ हफ्तों में लहसुन का भाव करीब दोगुना हो गया है और फिलहाल स्थिति में सुधार की संभावना नहीं दिखाई पड़ रही है. उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई कीमतों से काफी परेशानी हो रही है. दक्षिणी राज्यों से भी काफी हद तक लहसुन की आवक खत्म हो चुकी है, जिससे सप्लाई में भारी किल्लत हो गई है. सप्लाई में भारी किल्लत की वजह से लहसुन की कीमतों में इजाफा हो रहा है. महाराष्ट्र की मंडियों के कारोबारियों के मुताबिक ऊटी और मालापुरम से भी सप्लाई में काफी गिरावट आई है. मौजूदा सीजन में लहसुन के दाम सबसे ज्यादा बढ़ने से रसोई का मासिक बजट गड़बड़ा गया है.
मुंबई एपीएमसी से जुड़े एक कारोबारी का कहना है कि मॉनसून के दौरान अपर्याप्त बारिश और बाद में बेमौसम बारिश की वजह से उत्पादन में कमी के चलते स्थानीय बाजार में सप्लाई में कमी दर्ज की गई है, जिससे कारोबारियों को गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से होने वाली सप्लाई पर निर्भर रहना पड़ रहा है जो काफी महंगा पड़ता है. व्यापारियों के मुताबिक नई फसल के बाजार में आने में अभी समय है और तब तक भाव के ऊंचा रहने की उम्मीद है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में देश में लहसुन का उत्पादन 32.56 लाख टन दर्ज किया गया था, जबकि 2021-22 के दौरान लहसुन का उत्पादन 35.23 लाख टन था.