सप्लाई में कमी की वजह से मार्च की शुरुआत में प्याज की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकती है. देश अगली खरीफ फसल की कटाई तक प्याज की सप्लाई में बड़ी कमी का सामना करने की आशंका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उद्योग से जुड़े लोगों ने रबी प्याज की फसल के उत्पादन में 30 फीसद की गिरावट की चेतावनी दी है. उत्पादन घटने और सप्लाई सीमित रहने से मार्च की शुरुआत में रमज़ान के आसपास प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
प्रमुख प्याज निर्यातकों के एक समूह ने केंद्र सरकार को लिखे एक पत्र में सरकार को निर्यात मात्रा को नियंत्रित करने के लिए उचित तंत्र का पालन किए बगैर प्याज निर्यात की अनुमति देने के परिणामों के बारे में आगाह किया है. सोमवार को सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले निर्यातकों ने दावा किया कि कथित तौर पर 3,00,000 टन प्याज के निर्यात से नासिक जिले के बाजारों में प्याज का दाम 35-40 रुपये प्रति किलोग्राम और अन्य खुदरा बाजारों में 50-60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ जाएगा.
निर्यातकों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि मार्च की शुरुआत से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ मांग भी काफी बढ़ जाएगी. रमजान त्योहार की वजह से मांग में बढ़ोतरी और खरीफ फसल की आवक में कमी और रबी की आवक में भी कमी से कीमतों में उछाल आ सकता है. महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी प्याज की फसल काफी कम है. खरीफ की फसल अंतिम चरण में है और अगले 15 दिनों में आवक कम हो जाएगी. रबी प्याज की फसल मार्च के मध्य के बाद बाजारों में आने की उम्मीद है. रबी प्याज का उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहने का अनुमान है. घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों और सप्लाई में कमी की आशंका की वजह से दिसंबर 2023 में मार्च 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
गौरतलब है कि बीते मानसून सीजन में महाराष्ट्र, कर्नाटक और प्रायद्वीपीय भारत के कई अन्य राज्यों में बारिश में कमी दर्ज की गई थी. 2023 में अनियमित मानसून की वजह से दलहन, चीनी और प्याज जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है. पिछले साल की तुलना में तुअर उत्पादन में करीब 13 फीसद गिरावट का अनुमान है. उद्योग के अनुमान के अनुसार अगली फसल के आने तक पूरे साल उपभोक्ताओं के लिए तुअर दाल महंगी रहने की उम्मीद है.