सरकार की तरफ से प्याज के निर्यात पर सख्ती के बावजूद इसकी रिटेल कीमतों में लगातार तेजी जारी है. उपभोक्ता विभाग के मुताबिक सोमवार को दिल्ली में प्याज का औसत रिटेल भाव 78 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया. सरकार ने जिस दिन प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगाई थी. उस दिन भाव 75 रुपए था. सरकार की सख्ती के बाद भी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. संभावना है कि नवंबर के दूसरे पखवाड़े में नए प्याज की सप्लाई बढ़ने के बाद ही कीमतें काबू में आएंगी.
खुदरा विक्रेताओं ने कहा कि दिवाली से पहले घरों, रेस्टोरेंट और स्ट्रीट फूड विक्रेताओं की मांग की वजह से अधिकांश सब्जियां फिर से महंगी हो गई हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक सरकार मौजूदा महंगाई पर लगाम लगाने के लिए अपने बफर स्टॉक से करीब 16 शहरों में प्याज बेचना जारी रखेगी. जून-सितंबर में कमजोर मानसून की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्याज की खरीफ फसल को नुकसान पहुंचा है. फसल को नुकसान के साथ ही यहां फसल की कटाई में देरी भी हुई है. दूसरी ओर सर्दियों की फसल का स्टॉक करीब खत्म हो चुका है, जिससे कीमतों में फिर से बढ़ोतरी हो गई है. उपभोक्ता मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि निर्यात पर अंकुश लगाने के उपायों के बाद सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में प्याज के थोक भाव में गिरावट दर्ज की गई है.
बता दें कि सरकार ने त्योहारी सीजन में प्याज की महंगाई को नियंत्रित करने और घरेलू स्तर पर इसकी सप्लाई को बढ़ाने के लिए इसके निर्यात पर सख्ती बढ़ा दी है. सरकार ने प्याज के निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) की शर्त लगा दी है, जिसके तहत 800 डॉलर प्रति टन से नीचे प्याज का एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकेगा. भारतीय रुपए में देखें तो 67 रुपए प्रति किलो से नीचे की दर पर प्याज का निर्यात नहीं होगा. देश से प्याज के निर्यात पर 31 मार्च 2023 तक 40 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी पहले से ही लागू है. लेकिन 40 फीसद एक्सपोर्ट ड्यूटी के बावजूद इसकी कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई थी, जिसे देखते हुए अब सरकार ने MEP की शर्त भी लगा दी है. सरकार का कहना है कि एमईपी लागू होने से महाराष्ट्र के बाजारों में प्याज की कीमतों पर तुरंत असर दिखा है, वहां पिछले हफ्ते प्याज के ऊंचे भाव से 5 से 9 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है.