सरकार के हस्तक्षेप के बावजूद देश की अधिकतर मंडियों में सरसों का भाव MSP के नीचे कारोबार कर रहा है. दरअसल, सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत सरसों की खरीद शुरू की है. इसके बावजूद सरसों का भाव मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य के 10-12 फीसद नीचे चल रहा है. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक किसानों की सहकारी संस्था नैफेड और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) ने राज्य एजेंसियों के सहयोग से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और असम में प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत इस सीजन में 0.56 मिलियन टन सरसों की खरीदारी की है. हालांकि अभी तक हरियाणा में 0.32 मिलियन टन और मध्य प्रदेश में 0.11 मिलियन टन सरसों की खरीद हुई है.
सरकारी खरीद सुस्त होने से कम भाव पर बिक्री को मजबूर
कृषि मंत्रालय ने चालू सीजन में अगले दो महीनों में प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत 2.84 मिलियन टन सरसों के खरीद की मंजूरी दी है. बता दें कि मंगलवार को राजस्थान के भरतपुर में सरसों का औसत मंडी भाव 5,013 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया था, जबकि 2023-2024 सीजन (अप्रैल-जून) के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,650 रुपए प्रति क्विंटल था. सरसों कारोबारियों के मुताबिक अभी तक सरसों की सरकारी खरीद सुस्त रही है और पंजीकृत किसानों से कम मात्रा में खरीद की वजह से किसानों को बाजार में सरसों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
बता दें कि फरवरी 2024 में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने ऐलान किया था कि केंद्र सरकार के द्वारा बाजार में स्थिरता लाने के उद्देश्य से किसानों से सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीदारी की जाएगी. गौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत किसानों से सिर्फ 1.15 मिलियन टन सरसों ही खरीदारी की थी. वैश्विक बाजार में खाद्य तेल के आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और सरकार के द्वारा आयात शुल्क में कटौती भी की गई है जिससे भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे चला गया है.