इस साल दलहन और तिलहन किसानों को सरकार की तरफ से MSP की गारंटी मिल सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार किसानों से सारे दलहन और तिलहन की खरीद कर सकती है. यह खरीद सरकार के तय समर्थन मूल्य पर होगी. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक दलहन और तिलहन की खरीद मंडियों में चल रहे फसल भाव पर निर्भर करेगी. अगर मंडी भाव समर्थन मूल्य से ऊपर होगा तो सरकार को खरीद की जरूरत नहीं पड़ेगी. फिलहाल अधिकतर दलहन और तिलहन का मंडी भाव सरकार के तय समर्थन मूल्य से ऊपर है.
हाल ही में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकारी एजेंसी नैफेड के जरिए इस साल किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन, तिलहन और मक्का की 100 फीसद खरीद की जाएगी. 6 जून को सरकार ने सचिवों की समिति की मंजूरी के बाद 2023-24 के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत तुअर, उड़द और मसूर की खरीद पर मात्रात्मक सीमा को हटाने का ऐलान किया था. सरकार की इस घोषणा का मकसद बुआई क्षेत्र का विस्तार करने और उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है.
रबी मसूर की बुआई बढ़ने की उम्मीद
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2023-24 के लिए पीएसएस के तहत तुअर, उड़द और मसूर की खरीद की सीमा हटा दी है और किसान इस साल अपनी उपज की किसी भी मात्रा को बेचने के लिए स्वतंत्र हैं. सरकार के इस फैसले से चालू खरीफ सीजन के दौरान तुअर, उड़द और रबी सीजन में मसूर का बुआई क्षेत्र बढ़ने की उम्मीद है. हालांकि कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक खरीफ दलहन का रकबा 4 फीसद कम होकर 123.57 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जबकि एक साल पहले की अवधि में 128.98 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी. खरीफ अरहर, उड़द, मूंग, कुल्थी और अन्य दलहन की बुआई गिरावट के साथ बंद हुई थी.
मूल्य समर्थन योजना के तहत सरकार दलहन और तिलहन के उत्पादन का अधिकतम 25 फीसद किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करती है. सरकार की यह खरीद तब होती है जब मंडियों में कमोडिटी का भाव बेंचमार्क कीमतों के नीचे चला जाता है. हालांकि अगर राज्य की ओर से अनुरोध किया जाता है तो सीमा को 40 फीसद तक बढ़ा दिया जाता है. सरकार ने जून में तुअर दाल और उड़द दाल के लिए स्टॉक सीमा भी लगाई थी, जिसे 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था.