रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद कर देगा. उन्होंने कहा कि घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग पर बड़े पैमाने पर जोर देने से सप्लाई और डिमांड के बीच अंतर को कम करने में मदद मिली है. मांडविया ने कहा कि भारतीय कृषि के लिए उर्वरकों की उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि देश पिछले 60-65 साल से फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहा है. अब सरकार नैनो लिक्विड यूरिया और नैनो लिक्विड डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग फसल और मिट्टी की गुणवत्ता के लिए अच्छा है. हम इसे बढ़ावा दे रहे हैं.
यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बारे में पूछे जाने पर मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने यूरिया आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनाई है. उन्होंने बताया कि सरकार ने 4 बंद यूरिया प्लांट्स को फिर शुरू किया है और एक अन्य कारखाने को फिर से चालू करने का काम जारी है.
उन्होंने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना करीब 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है. मांडविया ने कहा कि स्थापित घरेलू उत्पादन क्षमता 2014-15 में 225 लाख टन से बढ़कर करीब 310 लाख टन हो गई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में सालाना घरेलू उत्पादन और मांग के बीच का अंतर करीब 40 लाख टन है.
उन्होंने कहा कि पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता करीब 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी. 20-25 लाख टन पारंपरिक यूरिया के इस्तेमाल को नैनो तरल यूरिया से बदलने का लक्ष्य भी है. मांडविया ने कहा कि हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है. 2025 के अंत तक यूरिया के लिए देश की आयात पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरिया का इंपोर्ट बिल शून्य हो जाएगा.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में यूरिया का आयात इससे पिछले साल के 91.36 लाख टन से घटकर 75.8 लाख टन रह गया. 2020-21 में यूरिया आयात 98.28 लाख टन, 2019-20 में 91.23 लाख टन और 2018-19 में 74.81 लाख टन था. मांडाविया ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में कृषि क्षेत्र के लिए उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने प्रमुख फसल पोषक तत्वों पर सब्सिडी बढ़ाकर भारतीय किसानों को वैश्विक बाजारों में उर्वरकों की कीमतों में तेज वृद्धि से भी बचाया है.
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