मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में अनाज गोदामों के भंडार की जांच के लिए गोदामों से गेहूं, चना और सरसों के स्टॉक को बाहर निकालने के लिए अस्थाई रोक लगा दी है.
उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यानी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी IARI ने ज्यादा उपज वाली गेहूं के बीज की एक नई किस्म पेश किया है. IARI को देश में चावल और गेहूं की अधिकांश किस्मों को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है. गेहूं के बीज की नई वैरायटी HD 3386 को हाल ही में कृषि मंत्रालय की केंद्रीय बीज समिति द्वारा मंजूरी दी गई है. गेहूं की नई वैरायटी पीला रतुआ रोग से लड़ने में सक्षम है. गेहूं की फसल में यह रोग अधिकतर उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में होता है.
आईएआरआई के निदेशक ए के सिंह के मुताबिक जल्द से जल्द किसानों तक गेहूं की नई वैरायटी की पहुंच बढ़ाने के लिए हमने 100 निजी और किसानों के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. उनका कहना है कि अंतर्निहित रोग प्रतिरोधी क्षमता की वजह से गेहूं की नई वैरायटी में उपज और बेहतर गुणवत्ता पाई गई है. उन्होंने कहा कि गेहूं के बीज की नई वैरायटी को लाने का मकसद मौजूदा समय में उपयोग किए जाने वाले बीज HD2967 को प्रतिस्थापित करना है. गेहूं की HD2967 वैरायटी को 2010 में IARI द्वारा विकसित किया गया था और पिछले सीजन में देश में 34 मिलियन हेक्टेयर के गेहूं के कुल रकबे में से करीब 25 फीसद में HD2967 वैरायटी की बुआई हुई थी.
उपज की जहां तक बात है तो मौजूदा किस्म की उत्पादकता करीब 22 क्विंटल प्रति एकड़ है जबकि नई वैरायटी की उत्पादकता 25 क्विंटल प्रति एकड़ है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अगले 2 साल में बड़े पैमाने पर गेहूं के बीज की नई वैरायटी किसानों के लिए उपलब्ध होगी. हरियाणा के करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान यानी IIWBR के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने हाल ही में कहा कि इस साल 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन 112 मिलियन टन के मौजूदा अनुमान को पार कर सकता है.