बीते खरीफ सीजन में बुआई घटने की वजह से तुअर का उत्पादन कम रहने का अनुमान है. ऐसे में एक साल की अवधि में तुअर की कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से सरकार ने तुअर की सरकारी खरीद को बढ़ाने की योजना बनाई है. सरकार की करीब 8-10 लाख मीट्रिक टन तुअर की सरकारी खरीद की योजना है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देशभर में तुअर दाल का औसत खुदरा भाव पिछले साल की तुलना में 40 फीसद बढ़कर 158 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है. पिछले साल तुअर दाल का औसत खुदरा भाव 112 रुपए प्रति किलोग्राम था.
दालों की खुदरा महंगाई में उछाल
तुअर, चना और मूंग की कीमतों में तेज उछाल की वजह से अक्टूबर में दालों की खुदरा महंगाई बढ़कर 18.79 फीसद दर्ज की गई, जबकि इसी महीने में खाद्य महंगाई 6.61 फीसद थी. बता दें कि मार्च में तुअर पर इंपोर्ट ड्यूटी को खत्म करके अफ्रीकी देशों और बर्मा से आयात बढ़ाने के सरकार के प्रयास के बावजूद दालों में महंगाई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तुअर की खरीद प्राइस स्टैबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) के माध्यम से बाजार दरों पर होगी, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊपर है. तुअर की सरकारी खरीद नैफेड (NAFED) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) के जरिए सीधे किसानों से की जाएगी.
पिछले साल से कम था तुअर का रकबा
अक्टूबर में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार तुअर का उत्पादन 34.21 लाख टन होने का अनुमान है, 2022-23 में तुअर का उत्पादन 33.12 लाख टन था. अधिकारियों का कहना है कि तुअर की सरकारी खरीद होने से आगामी वर्षों में किसान तुअर की खेती के लिए प्रोत्साहित होंगे. तुअर का रकबा बढ़ने से उसके आयात पर निर्भरता भी कम होगी. उनका कहना है कि आयात पर निर्भरता की वजह से ही मोज़ाम्बिक और बर्मा जैसे देश अपनी शर्तों पर तुअर का निर्यात करते हैं जिससे देश में सप्लाई प्रभावित होती है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक 29 सितंबर 2023 तक देशभर में 43.87 लाख हेक्टेयर में तुअर की खेती की गई थी, जबकि पिछले साल इस अवधि में यह आंकड़ा 46.13 लाख हेक्टेयर का था.
Published - November 28, 2023, 12:53 IST
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