आए दिन कम भाव की समस्या का सामना करने वाले टमाटर, प्याज और आलू (TOP) के किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है. दरअसल, सरकार इन खराब होने वाली फसलों की आवाजाही की अड़चनों को दूर करने के लिए एक पायलट योजना पर काम कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह पायलट प्रोजेक्ट कृषि मंत्रालय के मार्केट इंटरवेन्शन स्कीम (MIS) के तहत संचालित किया जाएगा. गौरतलब है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा समर्थित ऑपरेशन ग्रीन्स परियोजना भंडारण सुविधाओं को किराए पर लेने का समर्थन करती है और इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को शीर्ष फसलों के लिए माल ढुलाई पर 50 फीसद अग्रिम सब्सिडी प्रदान की जाती है.
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की मेगा फूड पार्क योजना की वजह से भंडारण कोई समस्या नहीं रही है. हालांकि उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट सब्सिडी अच्छा काम नहीं कर रही है, क्योंकि फसल की खरीद, उनके ट्रांसपोर्ट और भाव गिरने पर दूसरी जगह पर बिक्री के लिए कोई भी सहकारी समितियां या नोडल एजेंसियां नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सरकार ने मामले की जांच करने और टीओपी योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक योजना का मसौदा तैयार करने के लिए कृषि मंत्रालय के तहत एक समिति का गठन किया है. बता दें कि एक बैठक पहले ही हो चुकी है और निष्कर्ष अभी आना बाकी है. उनका कहना है कि समिति की सिफारिशों के आधार पर मामले को आगे बढ़ाया जाएगा.
गौरतलब है कि ऐसी फसलें जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में नहीं आती हैं, बंपर पैदावार की वजह से जब उन फसलों की कीमतों में गिरावट आती है तो किसानों को उन फसलों को नष्ट करना पड़ता है या फिर घाटे पर बेचना पड़ता है. कृषि मंत्रालय के MIS के तहत सरकारी एजेंसियां किसानों की इस संकटपूर्ण बिक्री को रोकने के लिए ऐसी फसलों की खरीद करती हैं. नैफेड और एनसीसीएफ दो सरकारी एजेंसियां हैं जो आमतौर पर फसल की खरीद और बिक्री में करती हैं. बता दें कि इस साल की शुरुआत में जैसे ही टमाटर और प्याज के दाम बढ़ गए. सरकार ने टमाटर और प्याज की खरीद उन इलाकों से की जहां उनकी कीमत कम थी. साथ ही कीमतों पर लगाम लगाने के लिए रियायती दरों पर उन जगहों पर बिक्री की जहां उनकी कीमत ज्यादा थी.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।