सरकार दलहन की खेती बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में पहली बार दलहन खेती को बढ़ावा दे रही है. सरकार इसके तहत तुअर, उड़द और मूंग जैसी सभी खरीफ दलहन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में उत्तर प्रदेश ने करीब 2.85 मिलियन टन, झारखंड में 7,61,000 टन और बिहार में 4,50,000 टन दलहन का उत्पादन हुआ था. हालांकि अभी तक केंद्र सरकार ने इन राज्यों से दलहन की खरीद नहीं की है.
दालों की कीमतों का प्रबंधन करने वाले उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) को कार्यक्रम के लिए मुख्य नोडल एजेंसी नियुक्त किया है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि दलहन की खरीदारी के लिए प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज (पीएसीएस) के नेटवर्क का उपयोग करने के लिए सहकारिता मंत्रालय के साथ भी काम कर रहे हैं.
सरकार इन क्रेडिट सोसायटियों का दायरा बढ़ाने के लिए काम कर रही है. गौरतलब है कि दलहन की बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में रखने के कई उपायों के बावजूद कई महीनों से कुछ दालों का ऊंचा भाव सरकार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है. हालांकि दालों की मुद्रास्फीति फरवरी के 18.9 फीसद से मामूली रूप से घटकर मार्च में 17.71 फीसद दर्ज की गई थी, लेकिन कम उत्पादन की वजह से तुअर के दाम में 33.54 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
बता दें कि एनसीसीएफ दलहन की खरीद के अतिरिक्त किसानों को बुआई को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले दालों के बीज वितरित करेगा. जानकारों का कहना है कि सरकार इन राज्यों में जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है. हालांकि आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद किसानों को अपने साथ जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया जाएगा. उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस प्रयास को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ भी मिलकर काम कर रहा है.