सरकारी भंडारण में गेहूं का स्टॉक 7 साल के निचले स्तर तक टूट गया है. भारतीय खाद्य निगम (FCI) के आंकड़ों के मुताबिक पहली जनवरी तक केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 163.53 लाख टन रहा है, जो जनवरी की शुरुआत में 2017 के बाद सबसे कम स्टॉक है. 2017 में पहली जनवरी तक केंद्रीय पूल में 137.5 लाख टन गेहूं का स्टॉक था. हालांकि बफर नियमों के मुताबिक जितना स्टॉक होना चाहिए, उसके मुकाबले ज्यादा स्टॉक है. पिछले साल पहली जनवरी को केंद्रीय पूल में 171 लाख टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक था.
इस बीच बुधवार को FCI ने OMSS के तहत 4.2 लाख टन गेहूं की बिक्री की है, जो OMSS के तहत एक दिन में हुई बिक्री का रिकॉर्ड है. इस साल खुले बाजार में FCI अबतक करीब 67 लाख टन गेहूं बेच चुका है. सरकार ने अनाज की महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कई उपायों का सहारा लिया है. सरकार की ओर से इन उपायों में गेहूं और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना जैसे कदम शामिल है. इसके अलावा थोक विक्रेताओं और बड़ी चेन रिटेलर्स को 1,000 टन से ज्यादा गेहूं रखने की अनुमति नहीं देना और एफसीआई के स्टॉक से अनाज खुले बाजार में बेचना जैसे कदम भी शामिल है.
जानकारों का कहना है कि सरकार के द्वारा उठाए गए इन कदमों की वजह से गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. हालांकि मार्च के आखिर में आने वाली गेहूं की फसल के आकार पर बहुत कुछ निर्भर करता है. आंकड़ों के मुताबिक देशभर में इस साल रबी सीजन में गेहूं की बुआई 336.96 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो कि पिछले साल की समान अवधि के 335.67 लाख हेक्टेयर और बीते 5 साल की औसत बुआई 307.32 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है. विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें शुरुआत में सर्दी शुरू नहीं होने को लेकर चिंता थी और उन्हें आशंका थी की दिसंबर के मध्य तक तापमान सामान्य से ज्यादा रह सकता है. हालांकि अभी मौसम और फसल दोनों ही अनुकूल हैं.