बासमती पर एक्सपोर्ट टैक्स लगाने की सरकार ने बताई वजह
सरकार ने 26 अगस्त को सफेद गैर-बासमती चावल के अवैध शिपमेंट को प्रतिबंधित करने के लिए 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से नीचे बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था.
सरकार ने संसद में सफाई दी है कि बासमती चावल न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) की जो शर्त लगाई गई है वह निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के इरादे से नहीं लगाई गई है. बल्कि सरकार को कई रिपोर्ट मिली थी कि निर्यातक गैर बासमती सफेद चावल को बासमती चावल के HS कोड के तहत निर्यात कर रहे थे. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में बताया है कि गैर बासमती चावल के अवैध निर्यात पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने 26 अगस्त को सफेद गैर-बासमती चावल के अवैध शिपमेंट को प्रतिबंधित करने के लिए 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से नीचे बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था.
हालांकि हितधारकों के साथ चर्चा के बाद सरकार ने 26 अक्टूबर से सरकार ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी MEP को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. गौरतलब है कि बासमती किसान और निर्यातक लगातार सरकार पर न्यूनतम निर्यात मूल्य को घटाने का दबाव बना रहे थे. बता दें कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने उस समय कहा था कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 अमेरिकी डॉलर प्रति टन करने का फैसला लिया गया है.
बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय को गैर-बासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में रिपोर्ट मिली थी. गैर-बासमती सफेद चावल के शिपमेंट पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया था. केंद्र सरकार ने सेला (Parboiled) चावल के निर्यात पर लगी 20 फीसद एक्सपोर्ट टैक्स की शर्त को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया है, पहले यह शर्त 16 अक्टूबर तक लागू थी. चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान निर्यात किए गए बासमती चावल की मात्रा में 8.21 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई.