सरकार के द्वारा गन्ने की उचित एवं लाभकारी मूल्य में बढ़ोतरी के बाद चीनी की कीमतों में इजाफा होने की आशंका बढ़ गई है.उद्योग निकाय इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी इस्मा ने सरकार से चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी का अनुरोध किया है. इस्मा का कहना है कि CACP चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य की भी सिफारिश कर सकता है जो उद्योग के अनुमान के हिसाब से 340 रुपये की एफआरपी के आधार पर 3,900 रुपये प्रति क्विंटल होता है. ऐसे में अगर चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी होती है तो चीनी की कीमतों में इजाफा हो सकता है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दे दी थी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी एफआरपी है. मात्रा के संदर्भ में यह दूसरी बार है जब मोदी सरकार ने एफआरपी में एक बार में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है.
इस्मा ने सरकार के द्वारा एफआरपी में की गई बढ़ोतरी पर अपनी राय जाहिर की है. इस्मा का कहना है कि एफआरपी में बढ़ोतरी से 5 करोड़ गन्ना किसानों एवं उनके परिवार के सदस्यों और शुगर सेक्टर से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होगा. हालांकि इस्मा का कहना है कि गन्ने की एफआरपी की तरह एथेनॉल की कीमतों में भी संशोधित किया जा सकता है ताकि इसको चीनी उद्योग के लिए व्यवहारिक बनाया जा सके. इस्मा सरकार से CACP द्वारा अनुशंसित न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर उद्योग से हर साल 4-5 मिलियन टन चीनी खरीद करने की सिफारिश कर रही है ताकि उद्योग नीतियों में किसी भी अचानक परिवर्तन से प्रभावित हुए बगैर एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम को जारी रखा जा सके.
इस्मा का कहना है कि सरकार खुदरा चीनी की कीमतों को स्थिर रखने के लिए दाल, चावल और अन्य जरूरी वस्तुओं की तरह हर साल एकत्र किए गए बफर स्टॉक को जारी करके हस्तक्षेप कर सकती है. चीनी के बफर स्टॉक को बनाने की नीति से एथेनॉल उत्पादन को लेकर किसी भी अचानक हस्तक्षेप की जरूरत दूर हो सकती है. इस्मा के मुताबिक एफआरपी के आधार पर एथेनॉल का मूल्य निर्धारण भी एथेनॉल के लिए पर्याप्त डायवर्जन सुनिश्चित करता है ताकि चीनी का दाम हमेशा एमएसपी के आस-पास रहे जिससे उपभोक्ताओं को चीनी की पर्याप्त और सस्ती सप्लाई मिलती रहे.
CCEA की बैठक में लिया गया फैसला गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया. यह कदम आम चुनाव से पहले उठाया गया है. गन्ना मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उगाया जाता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सीसीईए ने 2024-25 के लिए 10.25 प्रतिशत की चीनी रिकवरी दर पर गन्ने की एफआरपी 340 रुपये प्रति क्विंटल को मंजूरी प्रदान कर दी है. उन्होंने कहा कि यह गन्ने की अब तक की सबसे अधिक कीमत है, जो मौजूदा सत्र 2023-24 के लिए गन्ने की एफआरपी से लगभग आठ प्रतिशत अधिक है.
तय फार्मूले से 107 फीसद ज्यादा है नई एफआरपी ठाकुर ने कहा कि नयी एफआरपी गन्ने के तय फार्मूले से 107 फीसद अधिक है और इससे गन्ना किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी. उन्होंने कहा कि भारत, दुनियाभर में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत चुका रहा है. संशोधित एफआरपी एक अक्टूबर 2024 से लागू होगी.
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