सरकार की मुफ्त राशन योजना के लिए एक बड़ा संकट खड़ा होने की आशंका है. दरअसल, चावल की सरकारी खरीद में गिरावट देखने को मिल रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मुफ्त राशन स्कीम के लिए सरकार चावल की व्यवस्था कहां से करेगी? बता दें कि 1 अक्टूबर को सीजन शुरू होने के बाद पहले तीन महीनों में भारतीय खाद्य निगम यानी FCI द्वारा चावल की खरीद एक साल पहले की अवधि में 347.87 लाख टन से 14 फीसद गिरकर 299.33 लाख टन हो गई है.
भारतीय खाद्य निगम सरकार के बफर स्टॉक के लिए चावल की सरकारी खरीद करती है. गौरतलब है कि 2022 में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान चावल की सरकारी खरीद 2021-22 के स्तर से 11 फीसद ज्यादा थी. विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वर्ष में होने वाली चावल की सरकारी खरीद बड़े अंतर से अपने लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रह सकती है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में पंजाब, हरियाणा और अन्य उत्तरी राज्यों में खरीद पूरी हो गई है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह जनवरी के आखिर तक जारी रहेगी. एफसीआई ने पंजाब में 125.08 लाख टन चावल की खरीद की है जो कि एक साल पहले के 121.91 लाख टन की तुलना में 2 फीसद ज्यादा है. हरियाणा में 2022-23 के 39.51 लाख टन के मुकाबले चावल की खरीद 39.42 लाख टन हुई है. सरकार ने इस साल पंजाब में 122 लाख टन और हरियाणा में 40 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया था.
जानकारों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार नियमों में ढील देते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को धान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP 2,203 रुपए के मुकाबले प्रति क्विंटल 3,100 रुपए का भुगतान करने की अनुमति देता है, तो राज्य में चावल की सरकारी खरीद में कुछ सुधार हो सकता है. आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 31 दिसंबर तक चावल की सरकारी खरीद 38.59 लाख टन दर्ज की गई है, जो कि 1 साल पहले के 51.61 लाख टन की तुलना में 25 फीसद कम है.
गौरतलब है कि सरकार ने 2023-24 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में 521.27 लाख टन खरीफ चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन 1 साल पहले के 110.51 मिलियन टन की तुलना में 4 फीसद घटकर 106.31 मिलियन टन रहने का अनुमान है.
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