सरकार की तरफ से गेहूं की महंगाई को नियंत्रित करने की तमाम कोशिशों के बावजूद इसका भाव लगातार बढ़ रहा है. मंगलवार को दिल्ली में गेहूं का थोक भाव 2650 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है जो 8 महीने में सबसे ज्यादा भाव है. अक्टूबर में अबतक दिल्ली में गेहूं का भाव प्रति क्विंटल 50 रुपए से ज्यादा बढ़ चुका है, अक्टूबर की शुरुआत में भाव 2598 रुपए प्रति क्विंटल था. रिटेल मार्केट की बात करें तो उसमें भी गेहूं की कीमतों में तेजी देखने को मिली है. उपभोक्ता विभाग के मुताबिक बीते एक महीने के दौरान देश में गेहूं का औसत रिटेल भाव प्रति किलो 2 रुपए बढ़कर 28 तक पहुंचा है.
गेहूं की कीमतों में ऐसे समय पर बढ़ोतरी हुई है जब त्योहारी सीजन सामने है, महंगे गेहूं की वजह से आने वाले दिनों में आटा, मैदा और सूजी जैसे गेहूं से बनने वाले प्रोडक्ट्स महंगे होने की आशंका जताई जा रही है. इसके अलावा ब्रेड और बिस्कुट के दाम भी बढ़ सकते हैं क्योंकि इन्हें तैयार करने वाली कंपनियां ही खुले बाजार से सबसे ज्यादा गेहूं की खरीद करती हैं.
गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार अपने भंडार से खुले बाजार में लगातार गेहूं की बिक्री कर रही है. 4 सितंबर को हुई 15वीं नीलामी में सरकार ने खुले बाजार में 1.89 लाख टन गेहूं की बिक्री की है. नीलामी के जरिए इस साल अबतक सरकार खुले बाजार में करीब 22 लाख टन गेहूं की बिक्री कर चुकी है. लेकिन सरकार की बिक्री के बावजूद गेहूं की कीमतों में तेजी बनी हुई है.
देश में इस साल गेहूं की रिकॉर्ड ऊपज का अनुमान है लेकिन रिकॉर्ड उपज के बावजूद किसानों से गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है. सरकार ने इस साल किसानों से 342 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ था जबकि खरीद 262 लाख टन गेहूं की हो पाई थी. दरअसल इस साल जनवरी के दौरान गेहूं का थोक भाव 3200 रुपए प्रति क्विंटल तक चला गया था और आशंका है कि ऊंचे भाव की आस में इस साल भी किसानों ने अपना गेहूं रोककर रखा हुआ है जिस वजह से सरकारी खरीद पूरी नहीं हो पाई है.