कुछ समय तक स्थिर रहने के बाद प्याज की कीमतों एक बार फिर उछाल देखने को मिल रहा है. प्याज के कारोबार के लिए देशभर में प्रसिद्ध मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में हफ्तेभर के दौरान कीमतों में करीब 37 फीसद का उछाल आ चुका है. लासलगांव मंडी को देश की प्याज की कीमतों के लिए बेंचमार्क माना जाता है. खरीफ प्याज की आवक में देरी की वजह से कृषि उपज मंडियों में प्याज की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है.
10 अक्टूबर को लासलगांव मंडी में प्याज का औसत भाव 2410 रुपए प्रति क्विंटल था जो बुधवार को 3301 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया. थोक बाजार में ब्याज के महंगा होने की वजह से रिटेल बाजार में भी इसकी कीमतों में आगे चलकर तेजी की आशंका जताई जा रही है.
अन्य राज्य, जहां सरकार थोक बाजारों में प्याज बेच रही है, वहां नासिक की तुलना में कीमतों में कम वृद्धि देखी गई है. मंथली प्राइस ट्रेंड से पता चला है कि दिल्ली सहित कई राज्यों में, अक्टूबर में थोक प्याज की कीमतों में महीने-दर-महीने 5-7% की वृद्धि हुई है, जबकि महाराष्ट्र में, कीमतों में महीने-दर-महीने 15% की वृद्धि हुई है. खरीफ फसल की आवक में देरी से प्याज की कीमतें और बढ़ने की आशंका है.
एगमार्कनेट द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, बेंचमार्क लासलगांव कृषि उपज विपणन समिति सहित नासिक जिले के अधिकांश थोक बाजारों में, प्याज की कीमतें पिछले हफ्ते ₹23-24 प्रति किलोग्राम से बढ़कर ₹32-33 प्रति किलोग्राम हो गई हैं.
मुंबई स्थित एक निर्यातक ने कहा, “प्याज की कीमतें फिर से बढ़ने लगी हैं क्योंकि लाल प्याज की खरीफ फसल के आगमन में एक महीने की देरी होने की उम्मीद है. ”
मानसून के महीनों के दौरान, प्याज की आपूर्ति पिछले सीज़न की रबी फसल से होती है जिसे किसान मार्च-अप्रैल के दौरान कटाई के बाद भंडारित करते हैं. इस साल भंडारित प्याज की गुणवत्ता अच्छी नहीं थी. महाराष्ट्र देश में शीर्ष प्याज उत्पादक राज्य है. उत्तरी महाराष्ट्र के प्याज क्षेत्र में बारिश काफी कम हुई है. कम बारिश की वजह से नई फसल को लेकर भी चिंताए बढ़ गई है.