सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. आने वाले दिनों में इनमें और इजाफा हो सकता है, जिससे आपके किचन का बजट गड़बड़ा सकता है. दरअसल महाराष्ट्र में हुई कम बारिश और सूखे की स्थिति के चलते प्याज की बुआई कम होने की आशंका है. इसके अलावा अरहर और चीनी, गेहूं और चने की बुआई भी कम उत्पादन का संकेत दे रही है. ऐसे में प्याज, दालें, चीनी, फलों और सब्जियों जैसे प्रमुख रसोई उत्पादों की आपूर्ति में कमी आ सकती है, जिससे उनकी कीमतों में इजाफा होगा. ये महंगाई बढ़ने का भी संकेत है.
चूंकि महाराष्ट्र इन कृषि वस्तुओं का प्रमुख उत्पादक है और कुल उत्पादन में पर्याप्त हिस्सेदारी रखता है, इसलिए यहां फसलों को हुए नुकसान का असर खुदरा बाजार में दिखाई देगा. इस समय राज्य में बारिश कम होने की वजह से जलाशयों का स्तर पिछले वर्ष की तुलना में 20% कम है. एक बीज विक्रेता का कहना है कि पिछले छह-सात वर्षों में यह पहली बार है कि उन्हें अधिकांश ब्रांडों के लगभग 50% प्याज के बीज कंपनियों को लौटाने पड़े. पानी की कमी ने किसानों को प्याज की बुआई का रकबा कम करने के लिए मजबूर कर दिया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून के दौरान महाराष्ट्र में कुल बारिश सामान्य थी, लेकिन मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और उत्तरी महाराष्ट्र जैसे कई क्षेत्रों में इसकी कमी थी. रबी सीज़न में 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक बारिश काफी कम दर्ज की गई.
प्याज की आपूर्ति हो सकती है प्रभावित
प्याज की कम बुआई से अगले साल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. प्याज की कीमतें पहले से ही ऊंची चल रही हैं, जिससे अक्टूबर में रसोई घर में खुदरा महंगाई बढ़कर 42% से अधिक हो गई है. उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक एक साल पहले की तुलना में इस महीने 6.6% ऊपर था. कारोबारियों का कहना है कि जो किसान पांच एकड़ में प्याज लगाते थे, उन्होंने पानी की कमी के कारण क्षेत्रफल घटाकर लगभग दो एकड़ कर दिया है. कुछ किसान, जिन्होंने दिवाली के दौरान बारिश की उम्मीद में प्याज की नर्सरी बोई थी, वे पौधों के लिए खरीदार तलाश रहे हैं.
दालों का उत्पादन भी हो सकता है कम
महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम मानसूनी बारिश के कारण अरहर के उत्पादन में कमी आने की आशंका है, इसके बाद चना पर भी इसकी मार पड़ सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में चना के बोए गए क्षेत्र में 10-15% की गिरावट होने की संभावना है. ज्वार की कीमतें ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, थोक व्यापार में यह 85 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है.
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