प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का चल उन क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है जिनमें कृषि के लिए कर्ज नहीं लिया जाता. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक फसल वर्ष 2022-23 के दौरान गैर कृषि कर्ज वाले क्षेत्रों में फसल बीमा में 70 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. फसल वर्ष 2022-23के दौरान फसल बीमा के तहत कुल 500 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल आया है जिसमें 180 लाख हेक्टेयर ऐसा क्षेत्र है जहां पर कृषि के लिए कर्ज नहीं लिया जाता. फसल वर्ष 2021-22 के दौरान फसल बीमा योजना के तहत इस तरह के क्षेत्र का आकार 106 लाख हेक्टेयर था. यानी 2022-23 के दौरान 70 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.
आंकड़ों के मुताबिक फसल वर्ष 2022-23 के दौरान प्रदानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर हुए कुल क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है. 2021-22 के दौरान बीमा योजना के तहत कुल 442 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को कवर किया गया था.
हालांकि कोरोना काल से पहले के समय से तुलना करें तो फसल बीमा योजना के तहत कवर हुई कृषि भूमि अब भी वहां तक नहीं पहुंच पाई है जहां पर कोरोना काल से पहले हुआ करती थी. फसल वर्ष 2018-19 के दौरान 536 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को इस योजना के तहत कवर किया गया था और फसल वर्ष 2019-20 में तो यह आंकड़ा 572 लाख हेक्टेयर हुआ करता था.
केंद्र सरकार ने नई फसल बीमा योजना को 2016 के खरीफ सीजन में लॉन्च किया था और 2018 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे. शुरुआत में इस योजना के तहत उन सभी किसानों को शामिल किया जाना जरूरी था जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड था. लेकिन 2020 में इस वाध्यता को खत्म कर दिया गया था जिस वजह से योजना का लाभ लेने वाले ऐसे किसानों की संख्या में कमी आई थी जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड थे.
PMFBY के तहत, किसानों को फसलों के लिए सम इंश्योर्ड पर 2 फीसद प्रीमियम देना होता है. कई राज्यों में, जैसे कि असम, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, और त्रिपुरा, राज्य सरकारें किसानों के प्रीमियम का भुगतान कर रही हैं, बिना किसानों से कोई बीमा शुल्क लिए.