cardamom production: तापमान में बढ़ोतरी और ग्रीष्मकालीन बारिश में देरी को देखते हुए इलायची उत्पादक चिंतित हैं. दरअसल, उन्हें आगामी सीजन में इलायची उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है. इलायची के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र इडुक्की के वंदनमेडू इलाके के उत्पादकों का कहना है कि इस इलाके में मार्च के दौरान तापमान सामान्तया 30 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है, लेकिन इस सीजन में यह बढ़कर 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. उनका कहना है कि अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो इलायची की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. उत्पादक क्षेत्रों में मार्च में अच्छी बारिश होने की उम्मीद थी, लेकिन उत्पादकों को बारिश को लेकर निराशा हाथ लगी थी.
जानकारों का कहना है कि इलायची के पौधों का जीवित रहना और अगली फसल की पैदावार काफी हद तक अगले एक पखवाड़े में होने वाली बारिश पर निर्भर करेगी. उन्होंने कहा कि इलायची के बागानों में पौधों के अस्तित्व के लिए सिंचाई की जरूरत है और बारिश के अभाव में पानी की कमी भी चिंता का विषय बन रही है. इलायची कारोबारियों के मुताबिक मौजूदा समय में मांग में बढ़ोतरी की वजह से इलायची का भाव 1,500 रुपए प्रति किलोग्राम के आस-पास कारोबार कर रहा है. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद रमजान में बिक्री में बढ़ोतरी और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों की वजह से कीमतों को सपोर्ट मिला है.
इलायची उत्पादकों का कहना है कि ग्वाटेमाला में पिछले सीजन की तुलना में इस सीजन में उत्पादन घटकर 30 हजार टन दर्ज किया गया है. पिछले सीजन में ग्वाटेमाला में 54 हजार टन इलायची का उत्पादन दर्ज किया गया था. उनका कहना है कि 1982-83 के बाद पहली बार भारत इलायची उत्पादन में ग्वाटेमाला को पीछे छोड़ सकता है. गौरतलब है कि देश में इलायची का मौजूदा भाव ग्वाटेमाला की इलायची के दाम के बराबर है. ऐसे में आने वाले हफ्ते में इलायची की निर्यात मांग बढ़ सकती है.