भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी IARI ने बासमती चावल की जिन किस्मों को विकसित किया है उनकी खेती गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तान में हो रही है. ग्लोबल मार्केट में भारत का लोकप्रिय बासमती चावल पूसा बासमती-1121 को पाकिस्तान ने अपने यहां PK-1121 नाम से रजिस्टर किया हुआ है. इतना ही नहीं भारत के पूसा-1509 बासमती चावल को पाकिस्तान में किसान बासमती नाम से पंजीकृत कराया है. भारत में विकसित बासमती चावल की इन किस्मों को जियोग्राफिकल आइडिेंटिफिकेशन टैग भी मिला हुआ है लेकिन इसके बावजूद गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तान में इनकी खेती हो रही है
भारतीय निर्यातकों को हो सकता है नुकसान
घरेलू बासमती चावल निर्यातकों का मानना है कि भविष्य में इसकी वजह से भारतीय बासमती चावल के निर्यात को नुकसान हो सकता है. आईएआरआई के डायरेक्टर ए के सिंह ने भारतीय किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान के गैरकानूनी तरीके से भारतीय बासमती की किस्मों का कारोबार करने वाली बीज कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है. गौरतलब है कि 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में भारत से 5.5 अरब डॉलर के बासमती चावल का निर्यात होने का अनुमान है. आईएआरआई ने भारत से निर्यात होने वाली बासमती किस्मों के करीब 90 फीसद हिस्से को विकसित किया है.
ए के सिंह का कहना है कि पाकिस्तान में आईएआरआई के बासमती के किस्मों की अवैध बीज की बिक्री और उसकी खेती पूसा बासमती-1121 (PB-1121) से शुरू हुई थी. पाकिस्तान में PK-1121 एरोमैटिक के अलावा इसका विपणन 1121 कायनात के तौर पर भी किया जा रहा है. उनका कहना है कि आईएआरआई के द्वारा विकसित की गई सभी किस्मों को बीज अधिनियम, 1966 के तहत अधिसूचित किया गया है. इसके अतिरिक्त इन किस्मों को प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइट्स एक्ट, 2001 के तहत पंजीकृत किया गया है. यह अधिनियम सिर्फ भारतीय किसानों को ही किसी भी संरक्षित/पंजीकृत किस्मों के बीज की बुआई करने, रखने, दोबारा बुआई करने, विनिमय करने या साझा करने की अनुमति देता है.