भारत का तेल खली निर्यात बीते वित्त वर्ष (2023-24) में बढ़कर 48.86 लाख टन रहा है. उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी एसईए ने कहा है कि सोयाबीन खली के निर्यात में सुधार की वजह से निर्यात के आंकड़े में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. गौरतलब है कि खली का उपयोग पशु चारे के रूप में किया जाता है. बता दें कि देश का खली निर्यात बीते वित्त वर्ष में रुपए के लिहाज से भी सर्वाधिक 15,368 करोड़ रुपए का रहा है, जबकि मात्रा के हिसाब से पिछला सर्वाधिक आंकड़ा 2013-14 में 43.81 लाख टन का रहा था, जबकि कीमत के मामले में यह 11,500 करोड़ रुपए रहा था.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने बयान में कहा कि मात्रा और मूल्य के हिसाब से 2013-14 के बाद से यह खली का सर्वाधिक निर्यात रहा है. बीते वित्त वर्ष में कुल खली निर्यात सालाना आधार पर 13 फीसद बढ़कर 48.8 लाख टन रहा था. वित्त वर्ष 2022-23 में खली निर्यात 43.36 लाख टन दर्ज किया गया था.
उद्योग संगठन ने कहा कि सोयाबीन खली के निर्यात में साल के दौरान सुधार हुआ है और वित्त वर्ष 2023-24 में यह 21.33 लाख टन दर्ज किया गया था, जबकि 2022-23 में यह 10.22 लाख टन था. निर्यात में बढ़ोतरी की वजह से भारतीय सोयाबीन खली का अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी होना है. एसईए ने कहा है कि हालांकि आने वाले महीनों में सोयाबीन खली का निर्यात धीमा हो सकता है क्योंकि वर्तमान में भारतीय कीमतें अर्जेंटीना की तुलना में अधिक हैं.
बता दें कि फरवरी के दौरान भारत से ऑयलमील के कुल निर्यात में 9 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. पिछले साल की समान अवधि की तुलना में भारत ने फरवरी 2024 में 9 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 5.15 लाख टन ऑयलमील का निर्यात किया था, जबकि फरवरी 2023 में 4.71 लाख टन ऑयलमील का निर्यात हुआ था.