देश के को-ऑपरेटिव यानी सहकारी बैंक आरबीआई के रडार पर है. खामियां पाने जाने पर इन बैंकों पर लगातार जुर्माना लगाया जा रहा है. केंद्रीय बैंक ने विभिन्न मानदंडों का उल्लंघन करने के मामले में चार सहकारी बैंकों पर 44 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. इनमें चेन्नई स्थित तमिलनाडु स्टेट एपेक्स को-ऑपरेटिव बैंक पर सबसे अधिक 16 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई गई है. अन्य बैंकों में बॉम्बे मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक, पुणे स्थित जनता सहकारी बैंक और तमिलनाडु स्टेट एपेक्स को-ऑपरेटिव बैंक शामिल हैं. जिन बैंकों की वित्तीय सेहत कमजोर हो चुकी है, केंद्रीय बैंक उनके लाइसेंस रद्द कर रहा है.
क्यों बंद हो रहे सहकारी बैंक? आरबीआई के आंकड़ों के अऩुसार मार्च 2021 के अंत में देश में कुल 98,042 कोऑपरेटिव यानी सहकारी बैंक थे. इनमें 96,508 ग्रामीण सहकारी और 1534 शहरी सहकारी बैंक शामिल थे. इनमें शहरी सहकारी बैंकों के कारोबार का दायरा काफी बड़ा था लेकिन तमाम तरह की खामियों की वजह से शहरी सहकारी बैंक यानी यूसीबी का दायरा सिकुड़ता जा रहा है. वर्ष 2004 के अंत में देश में 1926 शहरी सहकारी बैंक थे जो मार्च 2021 के अंत में घटकर 1534 रह गए. यानी सहकारी बैंक लगातार बंद होते जा रहे हैं.
कौन लोग देते हैं वरीयता? ऐसे में सवाल यह है कि सहकारी बैंकों में पैसा जमा करने को कौन लोग वरीयता देते हैं. और उनका पैसा कितना सुरक्षित रहता है? इस बारे में पूर्व बैंकर सुरेश कुमार बंसल कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र और छोटे शहरों में स्थापित सहकारी बैंक का स्टाफ स्थानीय लोगों के साथ ज्यादा घुलमिल जाता है. इन बैंकों में कमर्शियल बैंकों की तुलना में कुछ ब्याज भी ज्यादा मिलता है. इस वजह से बड़ी संख्या में लोग सहकारी बैंकों में पैसा जमा करना ज्यादा पसंद करते हैं.
बंसल कहते हैं कि आरबीआई की ओर से डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक बैंक के खाताधारक को पांच लाख रुपए के भुगतान की गारंटी देती है. यह बीमा कंपनी आरबीआई की सहायक कंपनी है. अगर किसी एक बैंक में इससे ज्यादा रकम जमा है तो वह डूब जाएगी. इस हालात से बचने के लिए अपना पूरा पैसा एक ही बैंक में जमा न करें. अगर बड़ी रकम है तो कुछ पैसा सहकारी बैंक और कुछ अन्य बैंक में जमा करना चाहिए. इससे आपकी जमा पर जोखिम कम हो जाएगा.
क्या कहता है RBI? आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि बैंकों पर लगाए गए इस जुर्माने से ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा. खाताधारकों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि अगर किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो खाताधारकों पर क्या असर हो सकता है. आरबीआई की सहायक कंपनी से DICGC पांच लाख रुपए तक की बीमा सुरक्षा मिलती है. अगर बैंक डूब जाता है या लाइसेंस रद्द हो जाता है तो प्रत्येक खाताधारक को कम से कम पांच लाख रुपए तक की जमा राशि का भुगतान किया जाएगा. साल 2021-22 के दरम्यान DICGC ने 12.94 लाख जमाकर्ताओं के 8516 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया है. यह राशि देश अलग-अलग हिस्सों में बंद हुए बैंकों या जिन बैंकों का लाइसेंस रद्द किया गया है उनके खाताधारकों को जारी की गई.
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